हेलो दोस्तो आपका स्वागत है dhaliyabhai पर और आज मैं आपके लिए फिर से लेकर आया हूँ एक नयी कहानी “कालू” The story of a street dog in hindi life of street dogs तो चलिए शुरू करते है।
“कालू” The story of a street dog in hindi life of street dogs
कालू हमारी गली का एक डॉग है। आज हम उसकी ही कहानी के बारे में जानेंगे।
वैसे तो हमारी गली में चार कुत्ते है परंतु कालू उन सबमे अलग है।
पता नही क्यों पर कालू को ही हम सब बहुत प्यार करते है।
शायद इसलिए क्योंकि वो उन सभी डॉग्स का मुखिया है या फिर वो एक male डॉग है क्योंकि बाकी तीन तो female डॉग्स है।
अब ये बात कन्फर्म नही की गली के सभी लोग कालू को ही क्यों पसन्द करते है।
जब मैं 15 साल बाद अपने गांव में आया तो हमारी गाड़ी सुबह 4 बजे के करीब स्टेशन पहुंची।
हमने बाहर आकर रिक्शा किया मेरे साथ मेरी पत्नी और दो बच्चे थे।
हम हमेशा के लिए रहने के लिए अपने गांव वापिस आये थे।
जब हमारा रिक्शा हमारी गली में आया तब गली के सभी डॉग्स ने भोंकना शुरू कर दिया।
हम बहुत समय बाद आये थे तो हमारी हिम्मत नही हो रही थी रिक्शा से नीचे उतरने की इसलिए मैंने अपनी बुआ जी जो कि हमारी गली में ही रहती थी उनको फोन किया और उन डॉग्स को हटाने को कहा।
मेरी बुआजी आयी और सभी डॉग्स को पीछे किया उस दिन मैंने बुआ के मोह से कालू नाम सुना जो कि उस काले डॉग का था।
बुआ के हटाने पर भी वो डॉग्स पीछे ही हट रहे थे।
हम जैसे तैसे अपने घर पर पहुंचे।
मेरे दोनों बच्चे बहुत डर गए थे।
हमने अपने घर का दरवाजा खटखटाया क्योकि बाहर के कमरे में एक किराएदार था।
उसने दरवाजा खोला और हम चारो जल्दी से अंदर चले गए।
अंदर जाने के बाद हम सो गए और सुबह 8 बजे उठे।
फिर मैं नहा के बाहर निकला और पास की किराना की दुकान से एक बिस्किट का पैकेट लाया और उन सभी डॉग्स को खिलाया ताकि मैं उनका दोस्त बन सकूं।
वो सभी अपनी पूंछ हिलाते हुए आये और सभी ने बिस्किट खा लिया ।
मैं वहीं अपने चबूतरे पर बैठ गया और वो भी मेरे साथ बैठ गए।
वो सभी हमारी गली में किसी भी अजनबीको नही आने देते थे।
धीरे धीरे कालू और मेरी अच्छी दोस्ती हो गयी।
मैं जहां भी जाता वो मेरे साथ ही जाता था।
कई बार तो वो मुझको मुसीबत में डाल देता ।
वो जाता तो मेरी रक्षा के लिए था पर दूसरी गली के कुत्ते उसको घेर लेते और उस पर हमला कर देते तब मुझको ही उसे बचा कर लाना पड़ता।
फिर भी वो हर बार मेरे साथ ही जाता था कभी जब मैं किसी काम के लिए दूसरे शहर जाता तो वो भी मेरे साथ गाड़ी में चढ़ जाता उसको गाड़ी से उतारने में बहुत मेहनत करनी पड़ती।
वो तो मुझको अपना प्यार और वफादारी दिखा रहा था पर उसका वो प्यार और वफादारी मेरे लिए मुसीबत बन जाया करती।
एक दिन जब मैं अपने परिवार के साथ घूमने के लिए जा रहा था तो वो फिर से हमारे साथ चल दिया।
मैने उसको वापिस भेजने की बहुत कोशिश की लेकिन वो वापिस नही गया।
हमने ई रिक्शा किया और उसमें बैठ कर चल पड़े लेकिन वो कहाँ रुकने वाला था वो भी चल पड़ा हमारी ई रिक्शा के पीछे ।
बहुत गर्मी पड़ रही थी उस समय सड़के भी बहुत गर्म हो रही थी वो भाग रहा था हमारे पीछे पीछे।
शायद उसके पैरों में जलन हो रही थी इसलिए वो बार बार रुक रहा था और अपने पैरों को नाली में डाल कर ठंडा कर है था।
हम भी बार बार रिक्शा को रुका रहे थे।
उसकी हालत बहुत खराब हो गयी इसलिए मैंने उसको रिक्शा में बैठाना चाहा पर वो अंदर नही आ रहा था।
तो फिर हमने रिक्शा वाले से धीरे धीरे चलाने को कहा वो भी कालू की हालत देख कर दुखी था इसलिए हम धीरे धीरे अपने गंतव्य पर पहुंच गए।
अब कालू से चला भी नही जा रहा था तो वो उस रिक्शा के पास ही बैठ गया।
हमने वो रिक्शा वापिस जाने के लिए भी किया था।
जब हम वापिस जाने लगे तो हमको कालू को किसी भी तरह अंदर बिठाना था तो हमारे एक भाई साहब जो हमारे साथ आये थे उन्होंने एक कपड़े में उसे लपेटा और अपनी गोद मे बैठा कर उस रिक्शा में बैठ गए।
हम घर पहुंचे कालू से अभी भी नही चला जा रहा था।
लेकिन कुछ दिनों बाद कालू फिर से एकदम ठीक हो गया।
वो अभी भी हमारे साथ जाता था एक बार दूसरी गली के कुछ कुत्तों ने मुझ पर हमला कर दिया तो मैंने कालू को आवाज लगाई जो मुझसे कुछ ही दूरी पर था ।
उसका नाम पुकारते ही वो बिजली की रफ्तार से मेरी तरफ आया उसने देखा कि मुझे कुछ कुत्तों ने घेर रखा है और वो सभी मुझ पर भोंक रहे है ये देखकर वो उन सभी पर टूट पड़ा और कुछ ही देर में उन सबको खदेड़ दिया।
उसकव भी कुछ चोट आई थी लेकिन उसने अब किसी भी कुत्ते को मेरे करीब नही आने दिया।
हमारी दोस्ती इसी तरह गहरी होती रही पर एक दिन ऐसा आया कि कालू मुझे हमेशा के लिए छोड़कर चला गया।
मन में मैं बहुत रोया लेकिन अपने दुःख को बाहर नही आने दिया।
हम सभी गली वालो ने उसको जमीन में एक गढ़ा करके उसको अंतिम विदाई दी ।
आज भी वो मुझको बहुत याद आता है ।
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