Story for kids fairy tales hindi new short वैष्णवी और शैतान

हेलो फ्रेंड्स आपका स्वागत है dhaliyabhai.com पर और आज मैं आपके लिए फिर से लेकर आया हूँ बच्चों की कहानी story for kids fairy tales hindi new short वैष्णवी और शैतान तो चलिए शुरू करते है।

Story for kids fairy tales hindi new short वैष्णवी और शैतान

एक बार लक्ष्मण सिंह पुर नाम के एक राज्य में एक राजा माधोसिंह राज्य करता था।
वो बहुत ही दयालु था लेकिन उसके जो भी सन्तान होती वो जन्म लेते ही मर जाती उसको इस बात से बहुत ही दुःख होता क्योंकि उसकी 4 सन्ताने जन्म लेते ही मर गयी।
फिर उसने एक साधु महात्मा के बारे में सुना जो उसके राज्य में आये थे ।
राजा के मंत्री ने उसको बताया कि वो एक सिद्ध महात्मा है उनके पास बहुत सी सिद्धियां है।
वो जिसको आशीर्वाद दे देते है उसके सभी कष्टों का अंत हो जाता है।
ये बात सुनकर राजा के मन मे थोड़ी उम्मीद बंधी की शायद अब उसके दुःखो का अंत हो जाएगा।
इसलिए माधोसिंह ने उस साधु के पास जाने का निश्चय किया।
अगले दिन वो राजा उस साधु महात्मा के पास गया और उनकी सेवा में लग गया ।
माधोसिंह कई दिनों तक उनके साथ रहे और उनकी सेवा की।
अंत मे जब वो ऋषि जाने लगे तो उन्होंने माधोसिंह को अपने पास बुलाया और उनको कहा कि मैं जानता हूं कि तुम कोनसी इच्छा लेकर मेरे पास आये हो ।
लेकिन तुम्हारे जीवन मे सन्तान का योग नही है।
तुम्हारे पिछले जन्म के कुछ पाप कर्मों के कारण तुमको इस जीवन मे सन्तान का योग नही है।
लेकिन माधोसिंह ने उन ऋषि के पांव पकड़ लिए और कहा है महात्मन जब आप मेरे मन की बात जान सकते है।
मेरे पिछले जन्म के पाप के बारे में जान सकते है तो आप उन पापों को नष्ट करके मुझे सन्तान का सुख भी प्रदान कर सकते है।
ये बातें सुनकर वो ऋषि महात्मा उस पर प्रसन्न हो जाते है और उसको एक सेब देता है और कहता है कि ये अपनी रानी को खिला देना ।
इसके बाद वो ऋषि महात्मा वहां से चले गए और राजा ने वो सेब का फल अपनी पत्नी को खिलाया।
करीब 10 महीने बाद उनके एक पुत्री ने जन्म लिया।
उसका नाम जिसका नाम वैष्णवी रखा गया वैष्णवी धीरे धीरे बड़ी होने लगी।
जब वो 5 साल की हुई तो माधोसिंह शिकार करने गया तो उसने एक हिरन के भरोसे एक तपस्या करते हुए ऋषि को तीर मार दिया।
उससे उस ऋषि की मृत्यु हो गयी जब उस ऋषि के पुत्र को ये पता चला तो उसने राजा को कहा कि तुमने मेरे तपस्या करते पिता को मार दिया अब इसकी सजा तुम और तुम्हारा पूरा राज्य भूकतेगा।
इसके बाद राजा माधोसिंह अपने राज्य में चला जाता है।
कूछ दिनों बाद उसके राज्य पर एक दूसरे राज्य का हमला हो जाता है।
उस राज्य के राजा का नाम शैतानसिंह होता है।शैतानसिंह माधोसिंह की सेना को हरा देता है उसकी शैतानी सेना का सामना माधोसिंह की इंसानी सेना नही कर पाती इसलिए वे बुरी तरह से हर जाती है और शैतानसिंह उसके राज्य पर कब्जा कर लेता है शैतानसिंह माधोसिंह को एक तांत्रिक की मदद से अपने वश में कर लेता है इस कारण उसका शरीर भी एक शैतान की तरह हो गया उसके बड़े दांत मुह से बाहर दिखने लगे थे।
उसके नाखून बहुत लंबे और बदसूरत हो गए थे उसके पैर भी भयानक हो गए।
उसका चेहरा भी बहुत बदसूरत और भयानक हो गया कोई भी उसको पहचान नही सकता था कि ये माधोसिंह है।
शैतानसिंह उसी के हाथों उसकी प्रजा पर अत्याचार करवाता है।
राजा माधोसिंह ने बन्दी बनने से पहले अपनी पत्नी और पुत्री को गुप्त रास्ते से पहले ही उनकी पत्नी के भाई के राज्य में भिजवा दिया था।

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इस तरह से 5 साल बीत गए राजा माधोसिंह की पत्नी की मृत्यु हो चुकी थी लेकिन उसकी पुत्री सही सलामत थी
अब वो 10 साल की हो चुकी थी।
माधोसिंह अभी भी शैतानसिंह के वश में ही था और अपनी प्रजा पर अत्याचार करता था।
उस राज्य में कई लोग बाघी भी हो गए थे। उनका एक सरदार एक लड़का था।
उसका नाम पूर्णसिंह था उसने कसम खायी थी कि वो शैतानसिंह को खत्म कर देगा।
उसके साथ उसकी बहन भी थी वो भी शैतानो को खत्म करने में उसकी मदद करती थी।
उनकी लड़ाई कई महीनों से उन शैतानो से चल रही थी उन शैतानो ने पूर्णसिंह के सारे लोगो को मार दिया और अब बस वो और उसकी बहन ही बची थी।
लेकिन उनमें से कई शैतानो को वो दोनों खत्म कर चुके थे उनके पास लड़ने की एक कला थी जो उन्होंने बचपन मे अपने पिता से सीखी थी।
जिसकी वजह से वो दोनों उन शैतानो को खत्म कर पा रहे थे।
उन्होंने धीरे धीरे सारे शैतानो को खत्म कर दिया जो उनसे लड़ रहे थे।
उन सब के खत्म होते ही वहां पर एक शैतान जो लम्बाई चौड़ाई में बहुत बड़ा था।
वो उनसे लड़ने आया वो दोनों उससे लड़ने में असमर्थ हो रहे थे क्योंकि वो बहुत शक्तिशाली था।
लेकिन उन दोनों ने अपनी पूरी जान लगा दी और अंत मे उस शैतान को भी खत्म कर दिया लेकिन इस लड़ाई में पूर्णसिंह की बहन भी मर गयी।
ये देखकर पूर्णसिंह को और भी गुस्सा आ गया और उसने ये प्रतिज्ञा कर ली कि अब वो उस शैतानसिंह को खत्म करके ही रहेगा।
इसके बाद वो शैतानसिंह के महल की और चल पड़ा लेकिन उसके पास पहुंचना इतना भी आसान नहीं था।
रास्ते मे उसको कई बाधाओं का सामना करना था।
चलते चलते वो एक गांव में पहुंचा वहां पर कोई भी नही दिख रहा था की तभी वहां पर कुछ शैतान आ गए वो बहुत थका हुआ था इसलिए वो एक घर मे छुप गया।
वो जिस घर मे छिपा था उसमें ही वैष्णवी भी छिपी थी।
वैष्णवी पूर्णसिंह को देखकर डर गई।
लेकिन पूर्णसिंह ने उसको बताया कि वो भी उसी की तरह उन शैतानो से छिप रहा है।
जब वो शैतान वहां से चले गए तो ये दोनों बाहर आये।
पूर्णसिंह ने पूछा तुम किन हो तो वैष्णवी ने अपना नाम बताया और कहा कि मैं मेरे मामाजी के साथ जा रही थी कि तभी इन शैतानो ने हम पर हमला कर दिया और मेरे मामाजी ने मुझे वहां से भगा दिया और खुद उनको रोककर रखा था उन्होंने कहा था कि वो जल्दी उनको मारकर आ जाएंगे लेकिन वो अभी तक नही आये।
पूर्णसिंह ने कहा कि क्या तुम मुझे उस जगह तक ले जा सकती हो जहां पर तुमने अपने मामाजी को छोड़ा था।
तब वैष्णवी पूर्ण को वहाँ पर ले गयी वहाँ पर उसके मामाजी घायल अवस्था में पड़े थे।
वैष्णवी ये सब देखकर बहुत रोने लगी पूर्णसिंह ने उसके मामाजी को उठाया लेकिन वो किसी बात का जवाब नही दे रहे थे क्योंकि उनकी मृत्यु हो चुकी थी।
इसके बाद पूर्णसिंह ने उनका अंतिम संस्कार किया और वैष्णवी के साथ आगे चल गया ।
आगे चलकर उसने देखा कि एक ऋषि पेड़ के नीचे ध्यान लगाकर बैठे है।
वो उनके पास पहुंचे की तभी कुछ शैतानो ने उन पर फिर से हमला कर दिया।
पूर्णसिंह ने वैष्णवी को पेड़ के नीचे बिठाया और वैष्णवी और उन ऋषि की रक्षा के लिए खुद उन शैतानो से लड़ने लगा लड़ाई की आवाज से उन ऋषि महात्मा का दायां टूट गया।
उन्होंने अपना कलश उठाया और उसमें से जल हाथ मे लिया।
वो जल उन्होंने उन शैतानो पर डाल जल गिरते ही वो सभी शैतान वापिस से इंसान बन गए।
दरअसल वो सभी शैतान इंसान ही थे जिनको शैतानसिंह ने काले जादू से शैतान बना दिया था।
लेकिन उन ऋषि महात्मा के जल के स्पर्श से ही वो ठीक हो गए और अपने इंसानी रूप में आ गए।
ये देखकर पूर्णसिंह और वैष्णवी को बहुत आश्चर्य हुआ उन सभी ने उन ऋषि महात्मा को चरण स्पर्श किये और वहां से चले गए।
पूर्णसिंह ने भी उनके चरण स्पर्श किये उन ऋषि महात्मा जी ने पूर्ण सिंह को कहा कि तुमने शैतानसिंह को मारने की प्रतिज्ञा की है।
लेकिन ये काम तुम अकेले नही कर सकते क्योंकि उसकी मृत्यु तुम्हारे हाथों से नही होगी।
ये सब सुनकर पूर्ण हैरान हो गया और कहा कि आपको ये सब कैसे पता।
तब उन्होंने कहा कि मैं सब जनता हूँ शैतान सिंह की मृत्यु वैष्णवी के हाथों लिखी है।
आप वैष्णवी को भी जानते है पूर्णसिंह ने कहा ।
हाँ ये मेरे ही आशीर्वाद का फल है अभी तो तुम्हारी मुलाकात वैष्णवी के पिता से भी होगी।
वैष्णवी के पिता से पूर्णसिंह ने कहा।
हाँ वैष्णवी के पिता जिंदा है और अब वो शैतानसिंह के काले जादू के कारण शैतान बन चुका है।
उसको भी तुमको ठीक करना है उसको शैतान से वापिस इंसान बनाना है।
फिर उन ऋषि ने पूर्णसिंह को एक तलवार दी और वैष्णवी को एक रस्सी और कटार दी।
ऋषिदेव ने पूर्ण से कहा कि तुम इस तलवार की मदद से सभी शैतानो को वापिस इंसान बना देना और वैष्णवी जब तूम दोनो शैतानसिंह के सामने जाओ तो इस रस्सी से उसको बांध देना।
वो इस रस्सी के बंधन से छूट नही पायेगा उसके बाद में वैष्णवी तुम इस कटार से उसके हृदय पर वार करना उसके नष्ट होते ही वो तांत्रिक भी खत्म हो जाएगा और उसका काला जादू भी और जो भी बचे हुए शैतान होंगे वो भी इंसान बन जाएंगे।

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इसके बाद वो दोनों ऋषिदेव का आशीर्वाद लेकर वहां से चले जाते है और रास्ते मे जो भी शैतान उनको मिलते है। उन सभी को पूर्णसिंह इंसान में बदल देता हैं और वो दोनों शैतानसिंह के महल तक पहुंच जाते है।
आगे उनके सामने माधोसिंह आ जाता है माधोसिंह को देखते ही पूर्णसिंह उस पर अपनी तलवार से वार करता है लेकिन वो शैतान से इंसान में नही बदलता।
वैष्णवी को पता चल जाता है की ये उसके पिता है क्योकि उन ऋषि ने उसको कहा था कि जो इस तलवार से इंसान नही बने वो तुम्हारे पिता माधोसिंह होंगे या फिर शैतान सिंह।
अगर वो माधोसिंह होगा तो उसके गले मे एक नीले रंग का ताबीज होगा ।
अगर तुम उसको तोड़ दोगे तो वो इंसान बन जायेगा।
पूर्णसिंह माधोसिंह के साथ कई देर तक लड़ता रहा पर वो उसके ताबीज को नही तोड़ पा रहा था।
अब लड़ते लड़ते पूर्णसिंह बहुत थक चुका था लेकिन माधोसिंह नही थका बस वो पूर्ण को मारने वाला ही था कि वैष्णवी ने अपने पिता को आवाज लगाई।
वैष्णवी के मुह से पिताजी सुनकर कुछ देर के लिए वो सुन्न हो गया।
मौका पाकर पूर्णसिंह ने उसके गले का ताबीज तोड़ दिया।
ताबीज के टूटते ही वो फिर से अपने इंसानी रूप में आ जाता है।
पूर्णसिंह उनसे ऋषिदेव की कही सारी बात बताई और कहा कि वैष्णवी आपकी ही बेटी है।
इसके बाद वो तीनो आगे चले जाते है और शैतानसिंह के महल में चले जाते है लेकिन शैतानसिंह को पहले ही पता होता है कि वो तीनो उसे मारने के लिए आ रहे है।
इसलिए शैतानसिंह उनको पकड़ने के लिए पहले ही जाल बिछा देता है।
वो तीनो उसके जाल में फस जाते है वहां के सैनिक उनको कारागार में डाल देते है।
लेकिन उनके पास इस समस्या का भी हल था ऋषिदेव ने पूर्णसिंह को एक चदर दी थी।
उस चदर को ओढ़ने के बाद कोई भी उनको देख नही सकता जैसे ही उन्होंने वो चदर ओढ़ी वो तीनो गायब हो गए तब सैनिको ने उस कारावास का दरवाजा खोला और दरवाजा खुलते ही पूर्णसिंह और माधोसिंह उन शैतानो पर हमला कर देते है।

पूर्णसिंह उन सबको भी इंसान बना देता है और वो आगे बढ़ते रहते है और शैतानसिंह के सामने पहुंच जाते है।
मौका पाते ही वैष्णवी शैतानसिंह को रस्सी से बांध देती है और कटार से उसके हृदय पर वार कर देती है।
शैतानसिंह मर जाता है वो सभी खुश हो जाते है।
लेकिन किसी को ये नही पता था कि वो शैतानसिंह नही है।
फिर वहां पर शैतानसिंह सामने आ जाता है उसको देखकर वो हैरान हो जाते है।
शैतानसिंह पूर्णसिंह पर हमला करता है लेकिन माधोसिंह बीच मे आ जाता है।
जिससे उसकी मृत्यु हो जाती है माधोसिंह के मरने के बाद वैष्णवी एक बोतल निकालती है।
जिसमे वो जल होता है जो ऋषि महात्मा जी के पास था।
वो वैष्णवी को वो जल भी देते है और कहते है कि अगर तुम्हारे सभी प्रयास विफल हो जाये तो इस जल को पूर्णसिंह की तलवार और शैतानसिंह के ऊपर डाल देना जिससे शैतानसिंह कुछ देर के लिए स्थिर हो जाएगा। तुम उसी समय उस तलवार से उसके ह्रदय पर वार कर देना।
वो नष्ट हो जाएगा।
वैष्णवी वैसा ही करती है वो पहले उस जल को शैतानसिंह के ऊपर डालती है और फिर उस तलवार के ऊपर डाल कर उस तलवार से उसके हृदय पर वर करती है।
जिसकी वजह से उसकी मृत्यु हो जाती है उसकी मृत्यु के साथ ही उस तांत्रिक की भी मृत्यु हो जाती है और सारा काला जादू भी खत्म हो जाता है।
सभी शैतान फिर से इंसान बन जाते है इसके बाद पूर्णसिंह वैष्णवी को वहां की राजकुमारी घोषित करता है और जब तक वो इस लायक न हो जाये कि वो रानी बन कर उस राज्य को संभाल सके तब तक के लिए वो ही इस राज्य का कार्यभार संभालने का निश्चय करता है।
इसके बाद वो राज्य के सभी विभागों को फिर से सुव्यवस्थित करता है और जब वैष्णवी उस राज्य को संभालने के लायक हो जाती है तो उसको राज्यभार देकर वो उसके सेनापति के रूप में राज्य की रक्षा करता है।
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धन्यवाद ।

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