हेलो दोस्तो आपका स्वागत है dhaliyabhai.com पर और आज मै आपके लिए लेकर आया हु भक्तो की कथा spiritual stories in hindi.
भक्त और भगवान का सम्बंध बहुत ही अनोखा है भगवान अपने भक्तों के साथ अनेक लीलाये करते है।
के बार वे अपने भक्तों की कठिन परीक्षाएं भी लेते है जैसे भगवान ने अपने भक्त महाराजा हरिश्चंद्र जी की ली थी उनके सामने उनके बच्चे का शव था लेकिन वो अपने बच्चे का अंतिम संस्कार भी अपने पति को नही करने दे रहे थे।
क्योकि वो अपना सेवक धर्म निभा रहे थे।
अगर आपको राजा हरिश्चन्द्र जी की कहानी जाननी है तो आप कॉमेंट में लिख सकते है।
कभी भगवान लीला करने के लिए माता यशोदा को अपने मुख में पूरा ब्रह्मांड ही दिखा देते है।
कभी बालक के रूप में काग भुशुण्डि जी को भृमित कर देते है और वो भी सोच में पड़ जाते है कि ये भगवान है या कोई साधारण बालक।
तो कभी नारद जी का अहंकार दूर करने के लिए उनको वानर मुख दे देते है।
ऐसे ही भगवान की अनेकों लीलाये है उनमें से दो लीलाये जो कि इसी कलयुग की है आउट सत्य घटना है वो लिख रहा हु।
लिख रहा हूँ ये वाक्य सही नही ये भी भगवान ही लिखा रहे है तभी मैं लिख रहा हु।
तो चलिए शुरू करता हु।
एक बार बुलाने पर पवनपुत्र हनुमान जी प्रकट हो गए Short Spiritual stories in hindi
एक बार एक गांव में एक ब्राह्मण था वैसे तो वो बहुत ही धर्मी कर्मी था लेकिन उसके मन मे एक विकार ने कब्जा कर लिया।
वो विकार था लालच वो ब्राह्मण लालची हो गया और पूजा पाठ करने के लिए वो बहुत धन लेने लग गया।
अब धन को इकठ्ठा करते हुए एक सेठ बन गया था।
उसका एक पुत्र था वो बहुत ही शांत स्वभाव का था और हनुमानजी का भक्त था वो रोज अपनी माता से हनुमानजी की कथा सुना करता था।
एक बार रात को उसके पिता किसी दूसरे गांव में पूजा पाठ के लिए गए थे घर मे उनकी पत्नी और उनका पुत्र ही था।
माता अपने पुत्र को हनुमानजी की कथा सुना रही थी लंका दहन का प्रकरण चल रहा था।
की तभी उनको कुछ आहट सुनाई दी लेकिन वो बालक बिल्कुल भी नही घबराया लेकिन उसकी माँ बहुत डर गई थी।
उसने अपनी माँ को कहा कि तुम क्यों डरती हो हनुमानजी है ना हमारे साथ।
तभी वहां पर डाकुओं का एक गिरोह आ गया अब बालक की माता उनको देखकर और डर गई।
माता को घबराया देख बालक ने जोर से आवाज लगाई है हनुमान जी आप लंका दहन बाद में कर लेना मेरी माता इन डाकुओं को देखकर घबरा रही है पहले आप यहां आ जाइये।
उनके ये बोलते ही वहाँ पर एक विशालकाय वानर आ गया और उन डाकुओ को पीटने लगा।
डाकू जोर जोर से चिल्लाने लगे उनकी चीखों को सुनकर आसपास के लोग वहां इक्कठे हो गए और ये सब नजारा देख कर हैरान हो गए।
अब वो डाकू वहाँ से भाग गए और वो वानर भी वहां से चला गया।
पूरे गांव में ये खबर फैल गयी और सभी उस बालक को हनुमानजी का परमभक्त कहने लगे ।
अगले दिन जब उस बालक के पिता वापिस आये तब उनको भी इस बात का पता चला ये सुनकर उसने कहा कि मैं तो ये कंकर पत्थर रूपी धन को इकठ्ठा करने में अपना समय बर्बाद कर रहा था।
अब मुझे पता चल चुका है कि असली धन केवल भगवान की भक्ति ही है।
उसके बाद उसका लालच रूपी विकार समाप्त हो जाता है।
वो अपने पुत्र को ब्रह्मचारी बनाया और खुद भी भगवान की भक्ति में लग गए।
उनको अपने जीवन काल मे कई बार सीता राम जी के दर्शन हुए।
उनका पुत्र भी आगे जाकर बहुत विख्यात हुआ।
भक्त के विश्वास के कारण मूर्ति में भी प्राण आ गए Short Spiritual stories in hindi
ये कहानी एक बूढ़ी माई की है जो लड्डूगोपाल की सेवा किया करती थी।
जब वो बूढ़ी माई किशोरी थी तब वो एक बार वृंदावन से एक लड्डूगोपाल की मूरत लेकर आई ।
वो रोज उसकी सेवा किया करती उसका अपने बच्चे की तरह पालन करती थी।
जब उसका विवाह हुआ तब भी वो उस लड्डूगोपाल की मूरत को अपने साथ ही ले गयी।
ऐसा करते हुए अब वो बूढ़ी हो गयी लेकिन वो फिर भी अपने बालक की तरह ही उसका ख्याल रखती थी।
उसके दो बेटे थे और उन दोनों की भी शादी हो गयी थी।
एक बार उस बूढ़ी औरत की तबियत थोड़ी खराब थी तो उसने अपनी बहू से लड्डूगोपाल की सेवा करने के लिए कहा बहु ने मन मारकर सेवा करने के लिए तैयार हो गयी ।
बड़ी बहू ने लड्डूगोपाल को उठाया और उसको नहलाने लगी लेकिन शायद लड्डूगोपाल को अपनी बूढ़ी माँ से ही नहाना था।
इसलिए वो उस बहु के हाथ से फिसल गया और नीचे गिर गया।
इधर इस बूढ़ी माँ का कलेजा जैसे फट गया उसको ऐसा आभास हुआ।
वो अपने कमरे से लड्डूगोपाल के पास गई लड्डूगोपाल को नीचे गिरा देख उसने लड्डूगोपाल को उठाया और वो जोर जोर से रोने लगी और कहने लगी की मेरे लड्डूगोपाल को चोट लग गयी कोई डॉक्टर को बुलाओ।
तब उसके बेटे और बहुओ ने उसको बहुत समझाया लेकिन वो नही मानी और जोर से रोने लगी ।
शोर सुनकर आसपास के लोग वहां आये उस बूढ़ी माँ के बेटे ने सारी बात अपने पड़ोसियों को बताई।
तब उनका एक पड़ोसी उसको बोला कि बुढ़ापे में दिमाग बच्चों की तरह हो जाता है।
इसलिए तुम अपने फैमिली डॉक्टर को बुलाओ और उसको कुछ ऐसे ही पैसे देकर कहना कि वो बस घर मे आये और कह दे कि आपका लाला बिल्कुल ठीक है।
बेटे ने वैसा ही किया जब डॉक्टर आया तो उसने बच्चें यानी लड्डूगोपाल को ऐसे ही चेक किया और कहा कि आपका बेटा बिल्कुल ठीक है।
लेकिन उस बूढ़ी माँ ने कहा कि आपने वो कान वाली मशीन तो लगा कर देखा नही।
उस डॉक्टर ने पैसे लिए थे इसलिए उसने अपना सेटेस्कोप निकाला और लड्डूगोपाल के सीने से लगाया।
तभी एक चमत्कार हुआ उस लड्डूगोपाल की मूर्ति के दिल की धड़कनें चल रही थी।
ये देखकर वो डॉक्टर डर गया उसने दो से तीन बार चेक किया लेकिन फिर भी उस मूर्ति की धड़कने चल रही थी।
अब उस डॉक्टर को भगवान का चमत्कार समझ मे आ गया उसने सभी को इस चमत्कार के बारे में बताया और वो डॉक्टर भी अब वृंदावन गया और वहां से एक लड्डूगोपाल की मूरत लाया और उसकी सेवा करने लग गया।
दोस्तो आपको ये spiritual stories in hindi कैसी लगी कॉमेंट करे अगर अच्छी लगे तो शेयर भी करे।