हेलो दोस्तआपका स्वागत है dhaliyabhai.com पर और आज मैं आपके लिए लेकर आया हूँ एक ऐसी औरत की biography जिसको महाराष्ट्र की मदरटेरेसा भी कहा जाता है हाल ही में 4 जनवरी को उनका निधन हो गया वो सभी नारियों के लिए और नारियों ही क्यों सभी के लिए एक प्रेरणा स्त्रोत थी उन्होंने अपने कर्मो से कर के दिखाया कि अगर मन मे सच्ची चाह हो तो इंसान कुछ भी कर सकता है। चलिए जानते है मदरटेरेसा ऑफ महाराष्ट्र सिंधुताई सपकाल के बारे मे।
सिंधुताई सपकाल बायोग्राफी
सिंधुताई सपकाल का जन्म-दोस्तो सिंधुताई को बचपन से ही बहुत दुख तकलीफ झेलनी पड़ी थी।
सिंधुताई सपकाल का जन्म 14 नवम्बर 1948 को महाराष्ट्र के वर्धा जिले के पिपरी मेघे गांव में हुआ था।
सिंधुताई सपकाल के पिता का नाम अभिमान साठे था।
वो अपनी बेटी सिंधुताई सपकाल से बहुत प्यार करते थे वो चाहते थे कि उनकी बेटी पढ़लिखकर उनका नाम ऊंचा करे।
लेकिन उनकी आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नही थी इस कारण सिंधुताई सपकाल की माता उनको पढ़ने के खिलाफ थी।
लेकिन कैसे भी करके सिंधुताई सपकाल के पिता ने उनको फिर भी स्कूल भेजना जारी रखा लेकिन बाद में और ज्यादा खराब आर्थिक स्थिति के कारण सिंधुताई सपकाल को कक्षा 4 में ही अपना स्कूल छोड़ना पड़ा था।
सिंधुताई सपकाल का विवाह
सिंधुताई सपकाल जब 10 साल की हुई तब उनका विवाह एक 20 साल के आदमी के साथ कर दिया गया।
जब सिंधुताई सपकाल 20 साल की हुई तब तकवो 3 बच्चों की माँ बन गयी थी।
जन्म से ही उनको बहुत ही तकलीफों का सामना करना पड़ा था कि उनके पति ने किसीके बहकावे में आकर अपनी गर्भवती पत्नी सिंधुताई को घर से बाहर निकाल दिया।
फिर सिंधुताई ने एक बच्ची को जन्म दिया उस बच्ची को उन्होंने किस हाल में जन्म दिया उनको कितनी तकलीफों का सामना करना पड़ा ये सिर्फ़ सिंधुताई ही जानती थी।
उसके बाद उनके पास न तो घर था न कोई और सहारा उनके पिता की भी मृत्यु हो चुकी थी और सिंधुताई की माँ ने भी उनको अपने घर मे रखने से मना कर दिया।
अब वो बिल्कुल बेसहारा थी।
उन्होंने अब भीख मांगना शुरू कर दिया वो ट्रेनों में भीख मांग कर अपना गुजारा करने लगी।
एक बार उनको वल्वे स्टेशन पर एक अनाथ बच्चा मिला उसको सिंधुताई सपकाल ने उठाया और सोचने लगी कि उनको इन अनाथ बच्चों के लिए कुछ करना चाहिए।इस सोच के साथ उन्होंने अपनी खुद की बेटी को एक संस्था को दे दिया और खुद भीख मांगकर उस बच्चे को पालने लगी।
उनका वो उठाया गये उस एक कदम ने आज 6 बड़ी संस्थाओं का रूप के लिए है जहां पर 1500 से अधिक बच्चे एक परिवार की तरह रहते है।
सिंधुताई ने आदिवासियों के लिए भी अभियान किया और उनकी मदद की।
सिंधुताई सपकाल को कई सम्मान द्वारा सम्मानित किया गया है जैसे पदम् श्री अवॉर्ड,नारी शक्ति पुरस्कार, सोशल वर्कर ऑफ the ईयर इस प्रकार के 700 पुरस्कारों द्वारा सिंधुताई सपकाल को सम्मानित किया गया है।
उनको पुणे के DY पाटिल कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग द्वारा डॉक्टरेट की उपाधि भी मिली है।
यहां तक कि उनके जीवन पर आधारित एक फ़िल्म जिसका नाम मी सिंधुताई सपकाल बनाई गई है सिंधुताई ने अपने जीवन मे बहुत संघर्ष किये लेकिन कभी हार नही मानी उनके संस्थान में पढ़ने वाले बच्चों में कई बच्चे वकील बने कई डॉक्टर और कि अन्य बडे औधे पर पहुंच गए ये सब सिंधुताई के निरंतर प्रयास का ही परिणाम था।
सिंधुताई सपकाल का निधन
सिंधुताई सपकाल ने दिल का दौरा पड़ने के कारण 4 जनवरी 2022 को 73 वर्ष की आयु में पुणे के गैलेक्सी केयर अस्पताल में अपनी देह का त्याग किया।
वो हम सभी के लिए प्रेरणा है हमको भी उनसे ये सीखना चाहिए कि विपरीत परिस्थितियों में भी डटकर उन परिस्थितियों का सामना किया जाए तोहर परिस्थिति को हराया जा सकता है।
धन्यवाद आपको हमारी आज का ब्लॉग सिंधुताई सपकाल की बायोग्राफी कैसी लगी कॉमेंट करे और अगर आपको किसी और कि बायोग्राफी पर ब्लॉग चाहिए तो वो भी कॉमेंट करे।