प्यार की परिभाषा, क्या है सच्चा प्रेम। हिंदी प्रेम कहानी

हेलो दोस्तो आपका स्वागत है dhaliya bhai पर और आज मैं आपके लिए एक नई कहानी लेकर आया हूँ प्रेम की परिभाषा हिंदी प्रेम कहानी। प्रेम एक ऐसी पहेली है जिसको हर कोई अलग अलग तरीके से समझता है।जैसे कोई अपने माता पिता से इतना प्रेम करता है कि उनके लिए सारी हदें ही पार कर जाता है।
ऐसे ही कोई अपने भाई से कोई अपनी बेटी से और कोई किसी अनजान व्यक्ति से भी इतना प्रेम करने लग जाता है कि उसके लिए भी सारी हदें पार कर जाता है।आज की कहानी से हम एक पुत्री और पिता के ऐसे ही प्रेम के बारे में जानेंगे तो चलिए शुरू करते है।

प्यार की परिभाषा, क्या है सच्चा प्रेम। हिंदी प्रेम कहानी

अध्याय 1 देवी का जन्म

सुरेश नाम का एक लड़का वो अपने माता पिता का बहुत ही सम्मान करता था वो जो कहते उसी का पालन करता था।
सुरेश की पढ़ाई पूरी होने के बाद उसको सरकारी नौकरी लग गयी। वो और उसके घर वाले बहुत खुश थे।
कुछ दिनों बाद उसकी शादी मीनाक्षी से हो गयी वो भी बहुत ही संस्कारी और अच्छे चरित्र वाली थी।
वो कहते है ना जिसके संस्कार अच्छे हो उसका चरित्र भी उतना ही अच्छा होता है।

भले ही अपना व्यक्तित्व मत सवारों पर अपने संस्कारो से कभी समझौता मत करो तो तुम्हारा चरित्र अपने आप मजबूत बन जायेगा।
इसलिए अपने व्यक्तित्व पर ध्यान न देकर अपने चरित्र को संवारने की कोशिश करनी चाहिए।
एक साल बाद मीनाक्षी और सुरेश के एक लड़की हुई।

उस लड़की चेहरे की चमक और आंखों की चमक को देखकर सुरेश को लगा कि मानो कोई देवी ने उसके घर मे अवतार लिया है।

वो हर किसी को कह रहा था कि उसके घर मे देवी का जन्म हुआ है।सुरेश ने उसका नाम ही देवी रखा ये उसका भाव ही था कि उसकी राशि के हिसाब से उसका नाम सही था।

इसके बाद देवी बड़ी होने लगी ।सुरेश अपनी बेटी से बहुत प्रेम करता था जैसा हर पिता करता है।

वो उसको अच्छी अच्छी बातें सिखाता था।दोनो का प्रेम इतना प्रगाढ़ था कि वो एक दूसरे के बिना एक दिन भी नही रह सकते थे।

देवी अगर उसकी नजरो से कुछ देर के लिए ओझल हो जाये तो वो बेचैन हो जाता।देवी आज 21 वर्ष की हो गयी और वो अब कॉलेज के फाइनल ईयर में थी।

अध्याय 2 देवी का प्यार

कॉलेज में देवी के कई फ्रेंड्स बन चुके थे लेकिन प्रकाश उसका सबसे करीबी मित्र था और अब वो दोनो एक दूसरे से प्रेम भी करने लगे थे।

प्रकाश ने नया नया ही कॉलेज जॉइन किया था।

देवी उसके बारे में ज्यादा नही जानती थी लेकिन उसकीं चिकनी चुपड़ी बातों और उसकी बेहतरीन पर्सनेलिटी की वजह से वो उस पर मोहित हो गयी।

वो उस पर बहुत विश्वास करने लगी और जो भी वो कहता देवी उसको सच मानती थी। धीरे धीरे उसके सभी दोस्त उससे दूर होने लगे।

क्योकि वो प्रकाश की सच्चाई देवी को बताते लेकिन उसकी आँखों पर तो प्रकाश के प्रेम की पट्टी बंधी हुई थी ।

इसलिए वो उनकी बातों पर विश्वास नहीं करती। क्योकि प्रकाश ने उसको अभी तक छुआ भी नही था।

प्रकाश ये बात जानता था कि देवी को फसाना इतना आसान नही है।

अगर उसने देवी की मर्जी के बिना उसे छू भी लिया होता तो देवी को फसाना मुश्किल हो जाता इसलिए उसने पूरे प्लान के तहत उसको अपने झूठे प्रेम के जाल में फसाया था।

देवी ने अब प्रकाश और अपने प्रेम की बात अपने पिता को बताने का निश्चय किया क्योकि सुरेश ने उसको कहा था कि जब तुम किसी से शादी करना चाहोगी।

तब तुम्हारे पसन्द के लड़के से ही तुम्हारी शादी करवाऊंगा।

लेकिन ऐसे ही किसी लड़के से मैं तुम्हारी शादी नही करवाऊंगा पहले मैं उसको जाचूंगा।

उसके बाद ही तुम्हारी शादी उस लड़के से करूंगा अगर मुझे सही लगा तो।

तब देवी ने अपने पिता को अपने और प्रकाश के प्रेम के बारे में बताया।

सुरेश ने कहा कि मैं प्रकाश से मिलना चाहता हूं तुम उसको कल खाने पर ले आना।

देवी ने अगले दिन प्रकाश को बताया कि मैंने हम दोनों के बारे में अपने पापा को बता दिया है और उन्होंने आज तुमको खाने पर बुलाया है।

ये सुनकर प्रकाश को पसीने आ गए।उसका मकसद तो बस देवी के साथ मजे करना था।

जैसा कि वो दूसरी लड़कियों के साथ करता था।लेकिन देवी दूसरी लड़कियों की तरह उसके जाल में जल्दी फसने वाली नही थी।

लेकिन उसने सोचा कि बस खाना खाने तो जाना है।उसने हां कर दी और सुरेश के घर खाना खाने के लिए गया।

सुरेश ने पूछा-घर मे कौन कौन है तो प्रकाश बोला मैं और मेरे पिता है।

सुरेश ने आगे पूछा कि क्या करते है तुम्हारे पिता।प्रकाश बोला हमारे कपड़े की मिल्स है।

सुरेश ने कहा कि तुम आगे क्या करना चाहते हो।तब प्रकाश बोला कि मैं तो MBA करना चाहता हु लेकिन पिताजी कहते है कि अपना फैमिली बिज़नेस सम्भालो।
इसलिए थोड़ी कन्फ्यूजन में हूँ।सुरेश ने कहा चलो वो तुम्हारा फैमिली मैटर है।

फिर तीनो ने खाना खाया और बहुत सी बातें की प्रकाश खाना खाने के बाद अपने घर जाने के लिए बाहर निकला देवी भी उसके साथ ही बाहर आ गयी और प्रकाश से कहा कि तुमने हमारी शादी के बारे में क्या सोचा है।

तब प्रकाश ने कहा कि तुम अभी कहाँ शादी के झमेलों में पड़ रही हो ये तो हमारे मजे करने के दिन है।

अभी शादी की बात मत ही करो फिर कभी इसके बारे में बात करेंगे।

ऐसा बोल कर प्रकाश वहां से चला गया।देवी भी वापिस घर आ गयी।

अगले दिन प्रकाश ने देवी से कहा कि मुझे रात के लिए माफ कर देना लेकिन अभी मुझे सेटल तो होने दो उसके बाद में शादी भी कर लेंगे।

ऐसा बोल कर वो फिर से देवी को झांसे में ले लेता है।देवी ने कहा चलो ठीक है पहले तुम सेटल हो जाओ बाद में शादी की बात करेंगे।

आगे की कहानी इस कहानी प्यार की परिभाषा, क्या है सच्चा प्रेम। हिंदी प्रेम कहानी के अगले अध्याय में।