New short love story in hindi 2021 नर्स

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New short love story in hindi 2021 नर्स

हमारी कहानी की शुरुआत होती है एक आलीशान घर से जिसका नाम पूर्णिमा निवास था वहां पर एक बूढ़ा आदमी जिसका नाम कैलाशनाथ होता है वो रहता है जो कि मरने की कगार पर होता है बस कुछ ही महीनों में वो मरने वाला होता है।
उस घर मे दो और लोग रहते है सुधीर और जानकी वो दोनों पूर्णिमा निवास में काम करते है।
कैलाशनाथ अभी अभी उठा था वो नहाने के लिए जा रहा था लेकिन वो फिसल जाता है लेकिन सुधीर तभी उसको पकड़ लेता है सुधीर कहता है कैलाशनाथ कितनी बार कहा है कोई काम हो तो मुझे आवाज दे दिया करो।
तब कैलाशनाथ कहता है अरे यार मैं सोचता हूँ आज शायद मैं चला जाऊंगा लेकिन गिर ही जाता हूँ आज से मेरा वादा है जब भी मुझे जाना होगा तो मैं तुमको आवाज दे दिया करूँगा।
फिर दोनों जोर जोर से हसने लगते है क्योंकि रोज कैलाशनाथ यही बात बोलता है।
दोनो कई देर तक जोर जोर से हंसते है तभी दरवाजे की घण्टी बजती है।
सुधीर दरवाजा खोलने के लिए जाता है जैसे वो दरवाजा खोलता है बाहर एक लड़की खड़ी थी जिसने नर्स के कपड़े पहने थे उसकी उम्र कोई 25 साल होगी उसके चेहरे पर एक मुस्कान थी और मुस्कान के कारण उसके गाल पर एक डिम्पल पड़ रहा था।
वो बोली क्या कैलाशनाथ जी यहीं पर रहते है तब सुधीर बोलता है कि हां वो यहीं पर रहते है।
वो बोलती है मेरा नाम सुषमा है और मुझे डॉक्टर जयप्रकाश ने भेजा है कैलाशनाथ जी की देखभाल के लिए ।
कैलाश नाथ ने कहा ये जयप्रकाश भी उसे तो बस मेरे बीमार होने का इंतजार था बस लगा दिया नर्स को पीछे।
अबकी बार तुमको भेजा है।
सुधीर सुषमा को अंदर ले आता है जब कैलाश सुषमा को देखता है तो उसको किसी की याद आ जाती है।
फिर सुधीर सुषमा को कैलाश का कमरा दिखाता है।
सुषमा को उसके कमरे में बिठा कर वो कैलाश को नहलाने के लिए ले जाता है।
तभी जानकी आती है वो सुषमा के पास आती है और उसको पूछती है कि तुम क्या पीओगी?
सुषमा ने कहा कुछ नही बस पानी पिला दो।
जानकी ने सुषमा को पानी पिलाया और उससे बातें करने लगी कुछ ही देर में दोनों बहुत ही अच्छे दोस्त बन गए।
कुछ देर बाद कैलाश और सुधीर भी आ गया सुधीर ने कैलाश को बिस्तर पर लेटाया।
कैलाश को अभी भी लग रहा था कि वो सुषमा को जानता है।
फिर सुषमा ने कैलाश का bp चेक किया bp थोड़ा बढ़ा हुआ था।
इसलिए सुषमा ने पूछा क्या आपने bp की गोली ले ली कैलाश ने कहा नही अभी तो नही ली तब सुषमा ने जानकी से कहा कि इनकी bp की गोली किधर रखी है।
जानकी ने पास ही के ड्रॉअर में पड़े एक डिब्बे में से bp की गोली निकाली और कैलाश जी को दी और अंदर से पानी लायी।
उसके बाद कैलाश जी ने वो गोली खा ली फिर सुधीर अपने ऑफिस चला गया और जानकी ने खाने की तैयारी शुरू कर दी।
कैलाश जी ने सुषमा से कहा कि तुम चाहो तो घर देख सकती हो।
तो वो पूरा घर देखने लगी तभी एक कमरे में एक तस्वीर देखकर वो दंग रह गयी।
वो तस्वीर उसकी माँ की थी वो भागते हुए कैलाश जी के पास आई और उनसे कहा कि ऊपर के कमरे में जो औरत की तस्वीर है वो कौन है आपकी।
कैलाश ने कहा वो पूर्णिमा है मेरी पत्नी ये सुनकर सुषमा के पैरों के नीचे से जैसे जमीन खिसक गई।
सुषमा ने कहा कि ये तो मेरी माँ की फोटो है अब सुषमा की बात से कैलाश जी को धक्का लगा।
उसकी आँखों से आंसुओ की धारा बहने लगी कैलाश जी बोले पूर्णिमा जिंदा है कैलाश जी बोले तुम मेरी बेटी हो सुषमा।
सुषमा ने कहा कि क्या हुआ था उस वक्त की माँ और मैं आपसे दूर हो गए।
तब कैलाश ने बताया कि आज से 30 साल पहले की बात है जब मैं कॉलेज के आखरी साल में था उस वक्त मेरा एक छोटा सा एक्सीडेंट हो गया था।
मुझे एक हॉस्पिटल में ले जाया गया उसमे एक नर्स से मेरी मुलाकात हुई उसने मेरा ट्रीटमेंट किया।
उसको पहली बार देखते ही मुझे उससे प्यार हो गया था और शायद वो भी मुझे पसंद करने लगी थी।
मैं रोज बैंडेज के बहाने उससे मिलने जाया करता था।
फिर धीरे धीरे हम दोनों में दोस्ती हो गयी और फिर हमारी दोस्ती कब प्यार में बदल गया कुछ पता ही नही चला एक बार जब पूर्णिमा का जन्मदिन था उस दिन मैंने उसको सरप्राइज दिया।
पूर्णिमा ने कहा कि आज से पहले मेरा इस तरह से जन्मदिन किसी ने नही मनाया।
तभी मैने पूर्णिमा को प्रपोज कर दिया और कहा कि क्या तुम मुझसे शादी करोगी पूर्णिमा ने हां कर दी मैंने कहा कि कुछ दिनों बाद मैं अपना एक बिज़नेस शुरू कर रहा हूं उसके बाद हम शादी कर लेंगे।
फिर कुछ दिनों बाद मैंने अपना एक बिजनेस शुरू कर दिया।
मैने मम्मी और पापा को पूर्णिमा के बारे में बताया तो उन्होंने मन कर दिया कि वो दूसरी जाति की है ।
इसलिए मैंने और पूर्णिमा ने कोर्ट में शादी कर ली और मैंने एक किराए पर घर लिया उसमे हम दोनों रहने लगे और कुछ ही सालो में तुम भी पैदा हो गयी और मेरा काम भी बहुत अच्छा चल गया।
मैंने फिर ये बंगला खरीदा जिसका नाम मैने तुम्हारी माँ के नाम पर रखा।
लेकिन शायद वक्त से हमारी खुशी देखी नही गयी एक बार तुम्हारी माँ तुम्हे साथ लेकर अपने पुराने घर गयी जहां पर मेरे माँ पिताजी रहते थे।
माँ की तबियत खराब हो गयी थी इसलिए वो उनसे मिलने के लिए गयी थी।
मुझे ऑफिस में थोड़ा काम था इसलिए मैं बाद में वहां जाने वाला था तो रास्ते मे उसकी गाड़ी का एक्सीडेंट हो गया और गाड़ी एक नदी में गिर गयी पानी का बहाव तेज होने के कारण तुम दोनों की लाश नही मिली ।
सभी ने कहा कि इतने खतरनाक एक्सीडेंट के बाद को बच सकता हैं।
मैंने भी मान लिया की तुम दोनों की मृत्यु हो गयी है।
ये कहानी सुनाने के बाद कैलाश जी ने कहा कि पूर्णिमा कहाँ है।
तब सुषमा ने कहा कि वो इसी शहर में है लेकिन एक्सीडेंट की वजह से उनकी याददाश्त चली गयी थी।
सुषमा ने तभी अपनी माँ को फोन किया और पूर्णिमा निवास बुलाया।
पूर्णिमा जब वहां आयी तब उसको धुंधला धुंधला सा कुछ याद आने लगा।
कैलाश उसी तरह से बीएड पर लेट गया जिस तरह से वो पहली मुलाकात में लेता था।
उसने वही सब कहा जो कि उसने तब कहा था जब वो हॉस्पिटल में था।
उसने और भी बहुत कुछ कहा फिर उसने वैसा ही केक मंगवाया जैसा कि उसने पूर्णिमा केजन्मदिन पर मंगवाया था।
इन सब बातों से उसको सब कुछ याद आ गया सुषमा ने कहा कि माँ आप नही जानती मैं कितनी खुश हूं।
मुझे अपने पिता मिल गए।
इस खुशी के कारण कैलाश जी ठीक होने लगे और जो मृत्यु उनको कुछ महीनों में आने वाली थी वो टल गयी।
फिर वो तीनो ने खुशी से अपने दिन बिताए।
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