कल्पवृक्ष एक ऐसा पेड़ जिसके नीचे बैठकर जो भी सोचो सोचते ही आपके सामने वो वस्तु प्रकट हो जाये केवल कल्पना मात्र से किसी भी वस्तु का निर्माण हो जाये संसार मे ऐसा कुछ भी न हो जो आप उस कल्पवृक्ष के नीचे बैठ कर सोचे और आपको प्राप्त न हो हमारी आज की कहानी इसी कल्पवृक्ष पर आधारित है आशा है आप इस कहानी का आनंद लेंगे दोस्तो आपका स्वागत है dhaliyabhai पर और मैं आज आपके लिए फिर से लेकर आया हु एक नई कहानी कल्पवृक्ष एक अनहोनी पहेली fairytale story in hindi तो चलिए शुरू करते है दोस्तो ये एक काल्पनिक कहानी है जिसका किसी भी व्यक्ति या घटना से कोई सम्बंध नही है अगर किसी घटना से इसकी समानता होती है तो इसे मात्र एक सयोंग कहा जायेगा।

New Fairytale Story in Hindi For All read online कल्पवृक्ष एक अनहोनी पहेली
सालों पहले से ही ही साइंटिस्ट कल्पवृक्ष की सत्यता की प्रमाणिकता को जानने के लिए बहुत प्रयत्न शील थे उन्ही में से एक थे डॉ प्रभास उन्होंने पुराने सभी गर्न्थो के निचोड़ से एक किताब लिखी
उस किताब का शीर्षक था कल्पवृक्ष एक अनहोनी पहेली उनके पास एक ऋषि जिनका नाम कुश था उनका एक ग्रन्थ था।
जिसमे कल्पवृक्ष के पास जाने का पूरा रास्ता था उसी ग्रन्थ और महाभारत ग्रन्थ के आधार पर ही उसने ये किताब लिखी थी।
उस किताब के पास होने पर भी उस जगह पर पहुंचना बहुत कठिन था जहां पर कल्पवृक्ष था।
बहुत से लोगो ने वहां पहुंचने का प्रयास किया लेकिन कोई भी वहां तक नही पहुंच पाता था ।
डॉ प्रभास ने भी वहां पर जाने का प्रयत्न किया था पर उनके हाथ मे भी निराशा ही लगी।
इसलिए उन्होंने वो अभियान बंद कर दिया और अपनी उस रिसर्च को भी खत्म कर दिया।
अगर वो कल्पवृक्ष उनको मिल जाता तो वो सभी का भला कर सकते थे साथ मे उनको यूनिवर्स के बहुत से रहस्यों को जानने में भी मदद मिलती।
महाभारत में भगवान कृष्ण वो पारिजात वृक्ष स्वर्ग से द्वारिका लाये थे।
बाद में उन्होंने उस वृक्ष को वापिस भी भेज दिया था पर ऋषि कुश के ग्रन्थ के अनुसार उस वृक्ष की जड़ो से एक कल्प वृक्ष का निर्माण पृथ्वी पर भी हो गया।
वो कल्पवृक्ष भी किसी की भी कल्पना को साकार कर सकता था।
इसलिए डॉ प्रभास ने उस पर रिसर्च शुरू की थी।
लेकिन अब उनके पास इस रिसर्च को बंद करने के अलावा कोई भी रास्ता नही था।
लेकिन उनको क्या पता था कि उनकी जिंदगी में किसी का आगमन होने वाला है जो उनकी रिसर्च को अगले लेवल तक ले जाएगा।
माधव जो कि डॉ प्रभास के दोस्त का बेटा था जो कि कुछ दिनों के लिए वहां घूमने आए था तो वो अपने अंकल के घर ही रुकने वाला था उसके पिता ने उसके आने के लिए पहले ही कह दिया था तो प्रभास ने उसके रहने का इंतजाम पहले हि करवा दिया था।
माधव डॉ प्रभास के वहां पर पहुंचा और आते ही उनके पैरों को छूकर आशीर्वाद लिया ।
प्रभास ने कहा कि तुम अभी भी अपने संस्कार नही भूले तब माधव बोला वो मनुष्य ही क्या जो अपने संस्कारो को भूल जाये।
तब प्रभास ने कहा कि तुम गेस्ट रूम में आराम कर लो मैने तुम्हारे रहने का सारा इंतेजाम वहां करवा दिया है।
फिर माधव गेस्टरूम की तरफ निकल गया।
वहां पर फ्रेश होकर और कुछ देर आराम करके वो वापस प्रभास के पास आया।
प्रभास ने उसको अपने सभी टिम मेम्बर से मिलवाया जिसमे कुल पांच लोग थे गणेश , दीपक,सूरज,नेहा और दीप्ति।
माधव ने सभी से हाथ मिलाया और पूछा कि आप लोग किस चीज पर रिसर्च कर रहे है।
तब डॉ प्रभास ने बताया कि हम कल्पवृक्ष को ढूढने के लिए रिसर्च कर रहे है पर अब हमें इस प्रोजेक्ट को बंद करना होगा क्योकि इस रिसर्च को करने के लिए हमने कई टीमों को वहां भेज दिया लेकिन उस काम मे बहुत ज्यादा रिस्क है ।
इसमें जान का खतरा है लेकिन अगर वो कल्पवृक्ष हमे मिल जाता है तो हम उससे सभी मनुष्यों का कल्याण कर सकते है।
ये एक मानव कल्याण का कार्य है परंतु अब इस प्रोजेक्ट को रोकना ही होगा।
माधव बोला अंकल आप अभी से निराश मत होवो कोई न कोई रास्ता मिल जाएगा।
तब उसके मन मे आया कि क्यों न मैं भी इस रिसर्च का हिस्सा बन जाऊं।
माधव बोला अंकल क्या आप मुझको ये मौका दे सकते है तब प्रभास बोला नही इस काम मे जान का रिस्क है ।
और अगर तुम को इस रिसर्च में शामिल भी कर लूं तो भी फंडिंग कहाँ से करेंगे।
माधव ने कहा पिताजी है ना वो इस काम मे फंडिंग कर देंगे।
फिर भी इस काम मे रिस्क बहुत है तो इसलिए तुम्हारे पिताजी नही मानेंगे
पिताजी को मनाना मेरा काम है।
फिर माधव ने अपने पिता को फोन किया और उनको सब बात बताई।
पहले तो उसके पिता ने मना कर दिया पर माधव ने उनको कन्वेंस कर ही लिया।
उसके बाद प्रभास ने माधव को पूरे प्रोजेक्ट के बारे में समझा दिया।
माधव ने इस प्रोजेक्ट को एक नाम भी दे दिया प्रोजेक्ट कल्पना।
अब माधव उस प्रोजेक्ट को पूरी तरह समझने के लिए उस ग्रन्थ को पढ़ने लगा ।
वैसे तो वो मूल ग्रन्थ संस्कृत में था लेकिन प्रभास ने उसका ट्रांसलेशन हिंदी में करवाया था
उस ग्रन्थ को पढ़ने के बाद तो माधव के मन मे उस कल्पवृक्ष को देखने की और भी इच्छा जाग उठी।
उसनेन ही मन कहा कि मुझे तो अब उस वृक्ष के बारे में पता लगाना ही होगा चाहे उस रास्ते मे कितनी भी रुकावट आये परन्तु सभी रुकावटों को पार करके भी मैं उस जगह पहुंचकर कल्पवृक्ष को जरूर ढूंढूगा।
अगले दिन जब माधव सोकर उठा और अपनी छत पे गया उसने योग आसन करना शुरू किया।
तभी उसके चेहरे पर कुछ चमक सी पड़ी।
पहले तो उसने ध्यान नही दिया पर जब बार बार उसके चेहरे पर चमक पड़ रही थी तो उसने देखा कि सामने एक लड़की है और वो चमक उसके सूट पर लगे हुए कांच के टुकड़ों से आ रही है।
वो अपना मुंह दूसरी तरफ करके खड़ी थी इसलिए उसका चेहरा नही दिख रहा था।
फिर कुछ देर तक माधव उसको देखता रहा वो अब उसका चेहरा देखना चाहता था।
कुछ देर बाद उसने अपने बालों को झटककर उस तरफ अपना मुंह घुमाया जिस तरफ माधव खड़ा था।
उसको देखते ही माधव के दिल मे जैसे एक कटार सी चुभ गयी वो कोई और नही उसकी बचपन की दोस्त वृंदा थी।
दोस्तो इस कहानी का अगला भाग कुछ दिनों में आ जायेगा आपको ये कहानी New Fairytale Story in Hindi For All read online कल्पवृक्ष एक अनहोनी पहेली कैसी लग रही है कॉमेंट करे अगर ये कहानी आपको अच्छी लगे तो शेयर भी करे धन्यवाद।