हेलो दोस्तों आपका स्वागत है dhaliyabhai.com पर और आज मैं आपके लिए लेकर आया हूं नैतिक कहानियां ।
नैतिक कहानियां हमको सिखाती है कि हमे हमारे जीवन मे क्या गलतियां नही करनी चाहिए अगर हम ये गलतियां करते है तो हमे आगे चलकर इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है जैसे राजा रिसपुर के राजा जयसिंह ने चुकाई। नैतिक कहानियां इन हिंदी फेयरी टेल राजा और सपेरा तो चलिए शुरू fairy tales in hindi stories करते हैं
नैतिक कहानियां इन हिंदी फेयरी टेल राजा और सपेरा
सुंदर नगर नाम का एक राज्य था उस राज्य का राजा जयसिंग बहुत ही घमंडी था।
वो अपनी प्रजा से बहुत ही अतिरिक्त कर (tax) वसूल करता था ।
उसकी प्रजा उससे दुखी हो चुकी थी एक बार वो जब अपने महल के बरामदे में सुबह सुबह टहल रहा था।
तभी उसके सामने अचानक एक सांप आ जाता है वो डर जाता है और वहां से अपने कक्ष में चला जाता हैं।
वो अपने सैनिकों को बुलाता है और उस सांप को पकड़ने के लिए भेजता है।
लेकिन वो उस सांप को पकड़ नही पाते वो सांप बहुत ही तेज था ।
उस राजा के एक सिपाही ने राजा से कहा कि मेरा एक दोस्त है जो कि सपेरा है।
अगर आपकी आज्ञा हो तो मै उसको बुला लूं।
राजा ने कहा ठीक है अगर उसने उस सांप को पकड़ लिया तो मैं उसे मुँह मांगा इनाम दूंगा।
वो सिपाही अपने दोस्त जिसका नाम श्रीमल था उसके पास गया।
उसने श्रीमल से कहा कि राजा के महल में एक सांप घुस आया है।
वो बहुत तेज है हमारी पकड़ में नही आ रहा पकड़ में नहीं आ रहा इसलिए मैं तुम्हारे पास आया हूं।
तुम मेरे साथ चलो और उस सांप को पकड़ो श्री मल उसके साथ चलने के लिए तैयार हो गया फिर उसके साथ महल में पहुंच गया।
कई देर के प्रयास के बाद वह सांप उसके हाथ आया अब वह सपेरा राजा से इनाम इनाम लेने के लिए पहुंचा। राजा ने उसको कहां की तुमने अपना काम कर लिया अब तुम जाओ पर सपेरे ने कहां की मुझे कहां गया था की आप सांप को पकड़ने पर मुझे इनाम देंगे।
यह सुनकर राजा क्रोधित हो गया और कहा तुम्हारी मेरे सामने बोलने की हिम्मत कैसे हुई।
मैंने तुम्हें जब कह दिया था की तुम यहां से चले जाओ लेकिन तुम नहीं गए और मुझसे बहस करने लग गए हो। अब इसका दण्ड तुम्हें और तुम्हारे परिवार को भुगतना पड़ेगा।
तुमको इससे राज्य से निष्कासित किया जाता है यह सब सुनकर सपेरा डर गया और राजा से क्षमा याचना करने लगा।
लेकिन राजा ने कहा मैंने जो एक बार कह दिया बस कह दिया अब मेरा फैसला नहीं बदलेगा फिर उस सपेरे को राजा की आज्ञा से उसके सैनिक धक्के मार कर वहां से निकाल देते है।
उसको उस राज्य से बाहर निकाल दिया जाता है।
वो सपेरा बहुत ही असहाय हो जाता है फिर उसकी पत्नी उसको कहती है कि आपने एकबार मुझे बताया था कि आपका एक दोस्त है।
जो कि पास ही के राज्य का राजा है आप उसके पास जा कर मदद मांग सकते है।
उसने कहा कि वो तो मेरे बचपन का मित्र है क्या उसे मैं अब भी याद रहूंगा।
तब उसकी पत्नी ने कहा कि आप उसके पास चलिए तो सही तब वो उसके पास जाने को राजी हो गया।
फिर वो दोनों उस नगर को चल दिये चलते चलते उनके पैरों में छाले पड़ गए।
लेकिन वो भूखे प्यासे चलते रहे इस तरह चलते चलते तीन दिन बीत गया और उसका नगर भी आ गया।
उसके नगर की शोभा देखकर वो चकित रह गए वहाँ पर हर कोई खुशहाल था।
वो सब उन दोनों को देखकर बहुत चकित थे क्योंकि उनकी जो हालत थी वो हालत उस नगर में किसी की नही थी।
श्रीमल ने एक व्यक्ति से पूछा कि इस नगर का राजा का महल कोनसा है।
तब उस व्यक्ति ने उनको राजा के महल का पता बता दिया।
वो दोनों उस राजा के महल के सामने पहुंच गए उस सपेरे ने द्वारपाल से कहा कि हमे महाराज से मिलना है ।
तब उस द्वारपाल ने कहा कि क्या चाहिए आपको किसी चीज की जरूरत है तो हमे बताइए या फिर किसी ने आपके साथ कोई अत्याचार किया है।
कृपया मुझे बताइए तब वो सपेरा बोला नहीं मुझ पर किसी ने अत्याचार नहीं किया है।
मैं तो केवल महाराजा से मिलने के लिए आया था वह मेरे बचपन के मित्र हैं।
यह सुनकर पहले तो द्वारपाल बहुत हक्का-बक्का रह गया लेकिन बाद में उसको श्री कृष्ण और सुदामा के मित्रता की याद आ गई की वह दोनों भी बाल सखा थे और सुदामा जी भी अपने मित्र से मिलने के लिए आए थे।
यह ध्यान आते ही उसने उस सपेरे से कहा की आप यहीं पर रूके मैं अभी पूछ कर आता हूं ।
फिर वह द्वारपाल अंदर चला गया और महाराज से जाकर कहां की महाराज बाहर कोई श्रीमल जी नाम का एक व्यक्ति आया है।
वह कह रहा है की यह आपका बचपन का मित्र है
क्या मैं उसे अंदर भेजूं? यह सुनते ही महाराज बाहर जाने के लिए तत्पर हो जाते हैं
वह कहते हैं श्रीमल आया है मेरा बचपन का मित्र मैंने उससे मिलने की बहुत कोशिश की थी ।
लेकिन वह दूसरे राज्य में चला गया था और इसी कारण मुझे उसका पता नहीं चला अब आज वह मेरे दरवाजे पर आया है ।
अब मुझे ही उसका स्वागत करने के लिए जाना पड़ेगा फिर महाराज वहां से श्रीमल का स्वागत करने के लिए चल पड़ता है।
उसके पीछे पीछे दासियाँ और उनकी रानियां भी आ रहे थे।
बाहर जाकर उसने श्रीमल को अपने गले से लगा लिया उसकी हालत बहुत ही दयनीय थी ये देखकर महाराज की आँखों से अश्रुधारा बहने लगी।
फिर वो उसको और उसकी पत्नी को महल के अंदर ले गए और स्नान कराकर भोजन करवाया।
फिर पूछा कि तुम्हारी ऐसी हालत कैसे हो गयी उसने कुछ नहीं कहा फिर उस राजा ने अपने मंत्री को भेजा और अपने मित्र के साथ क्या हुआ यह वह जानना चाहता था।
इसलिए उसने मंत्री को भेजा महामंत्री उसके बारे में जानकारी एकत्रित करने लगा उस मंत्री को पता चला कि पास के ही राज्य के राजा ने उस सपेरे को अपने राज्य से बाहर इसलिए कर दिया क्योंकि उसने उस राजा की मदद करने का इनाम मांगा और जो कुछ भी श्रीमल के साथ हुआ वह सब बात उस मंत्री ने राजा को बताई।
यह सुनते ही राजा बहुत क्रोधित हो गया उसने अपने मंत्री को उस राजा पर आक्रमण के लिए कहा।
मंत्री ने इस ही किया उसने उस राज्य पर आक्रमण के लिए सेना तैयार की।
तभी राजा जयसिंह को भी इस बारे में पता चला कि पड़ोसी राज्य ने हम पर आक्रमण कर दिया है।
उसके मंत्रियों ने जयसिंह को बताया कि महाराज उनकी सेना के सामने लड़ना मतलब आत्महत्या करना है क्योंकि उनकी सेना अगर समुद्र के समान है तो हमारी सेना एक तलाब ही है।
तब अपने मन्त्रियों की बात से वो राजा डर गया और लड़ने की बजाए उसने उस राज्य की शरण मे जाना स्वीकार किया।
तब मंत्री राजा जयसिंह को बंदी बना कर महाराज के सामने लेकर आया।
राजा ने राज्यसभा आयोजित की और अपने मित्र उस सपेरे को उस राज्य का राजा बना दिया।
लेकिन वो सपेरा बहुत ही दयावान था उसने कहा मित्र मुझे वो राज्य नही चहिये।
तुमने मेरे लिए ये सोचा बस मैं इतने में ही खुश हूं।
क्योकि किसी को कितना भी धन सम्पति मिल जाये पर उसका अहंकार नही करना चाहिए।
अगर आपसे कोई छोटा है या गरीब है तो उसका अपमान नही करना चाहिए क्योंकि पता नही की उसका आपके जैसा मित्र भी हो सकता है।
फिर महाराज ने जयसिंह को एक चेतावनी के साथ छोड़ दिया और कहा कि अगर आगे से तुमने किसी गरीब को सताया तो तुमको मृत्युदंड दिया जाएगा।
दोस्तो ये कहानी मेरी कल्पना की एक और झलक है इस कहानी में कुछ सन्देश भी है तो आपको ये कहानी नैतिक कहानियां इन हिंदी फेयरी टेल राजा और सपेरा कैसी लगी कॉमेंट करे अगर अच्छी लगे तो शेयर करे
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