हेलो दोस्तो आपका स्वागत है dhaliyabhai.com पर और आज मैं आपके लिए लेकर आया हु एक नई कहानी my robot wife वैसे तो ये कहानी काल्पनिक है। लेकिन इस कहानी के हीरो रोहित का किरदार मैं करूँगा तो चलिए शुरू करते है।
My robot wife a deferent love story
तो जैसा कि मैंने आपको बताया कि इस कहानी का हीरो रोहित यानी मैं हु मैं अपने माता पिता की एकलौती सन्तान हूँ ।
लेकिन अपने माता पिता के साथ नही रहता क्योकि मेरे पिता ने मेरी माँ के मरने के बाद दूसरी शादी कर ली ।
मेरी सौतेली माँ मुझको थोड़ा भी पसन्द नही करती थी और जब एक बार मेरे पिता काम के लिए बाहर गए थे ।
तब मुझे मेरी सौतेली माँ ने मुझे घर से निकाल दिया। उस वक्त मैं 15 साल का था।
मुझे समझ नही आ रहा था कि मैं कहाँ पर जाऊं लेकिन मैं चलता गया बस चलता गया।
सुबह से शाम हो गयी मेरे पेट मे चूहों ने हमला कर रखा था भूख के मारे मेरी जान निकल रही थी।
लेकिन खाना न मिलने के कारण मैं सड़क पर बेहोश होने वाला था कि तभी किसी ने मेरे गिरते हुए शरीर को थाम लिया।
वो एक 50 साल के एक आदमी थे उन्होंने मुझे उठाया और पास ही मे बैठाया और खुद भी मेरे साथ बैठ गए उन्होंने मेरे बारे में जानने की इच्छा की तो मैंने उसको सब बात बता दी।
उसने कहा की क्या तुम मेरे साथ चलोगे तब उसकी बात सुनकर मैंने उनके साथ जाने का निश्चय किया।
वह मुझे अपने साथ एक पुराने सीन हवेली में लेकर गए। जब हम उस हवेली के दरवाजे के सामने जब गए ।
तब उन्होंने ताली बजाई और Bole Khul Ja Sim Sim उनके ऐसा बोलते ही वह दरवाजा खुल गया ।
इसके बाद हम दोनों उस दरवाजे से उस हवेली के अंदर चले गए ।
वह हवेली बहुत ही पुरानी लग रही सी लेकिन वहां पर bahut se machinen Padi thi aisa lag raha tha ki Main Kisi vaigyanik ki lab mein a Gaya Hun.
Iske bad vah Mujhe khane ke liye dining table ke pass Lekar gaye aur mere sath baith Gaye.
unhone jor se Awaaz Lagai Diya Unki Awaaz sunkar Ek Ladki Bahar आई vah ladki Kareeb 12 se 15 sal ki Hogi maine Unse poochha ki yah kaun hai.
tab unhone bataya ki yah Meri poti hai jab mere bete aur Bahu Ka accident Ho Gaya to Tab Se Main Aur Diya sath mein ही है।
हमारा एक दूसरे के अलावा और कोई नही है।
अब तुम भी हमारे साथ रहना चाहो तो रह सकते हो।
इसके बाद दिया भी हमारे साथ टेबल पर बैठ गयी।मैने उनसे पूछा मैं आपको क्या कह के बुलाऊ।
तब उन्होंने कहा कि तुम भी मुझे दादाजी कह सकते हो।
फिर उन्होंने जो कि अब मेरे दादाजी थे एक आवाज लगाई पीटर हमारे लिए खाना लगाओ मैने सोचा कि अभी तो दादाजी ने कहा कि हमारा एकदूसरे के अलावा कोई नही है और अब ये किसको आवाज लगा रहे है।
तब एक मशीन सी जो कि किसी आदमी की तरह था बाहर आया और हमे खाना सर्व किया।मैने पिताजी की दूसरी शादी केबाद से इस खाना कभी नही खाया क्योकि मेरी सौतेली माँ मुझको जूठा खाना खिलाया करती थी।
क्योंकि पापा तो काम पर चले जाते थे और रात को भी वो लेट आया करते थे इसलिए मेरी सौतेली माँ मुझको उनकी गैर हाजरी में बहुत तंग किया करती थी।
आज जो मैंने खाना खाया वैसा खाना मै तब खाया करता था जब मेरी मां जिंदा थी।
खाना खाने के बाद दादाजी मुझे एक कमरे में ले गए और कहा कि आज से ये तुम्हारा कमरा है और अगर तुमको किसी चीज की जरूरत हो तो इस बटन को दबा देना और अगर रात को वॉशरूम जाना हो तो वो वहाँ ही उन्होंने हाथ के इशारे से मुझे बताया।
इसके बाद दादाजी अपने कमरे में चले गए।
मैं ये सोचने लगा कि भगवान कैसे कैसे खेल दिखाता है अभी कुछ देर पहले मेरे पास कुछ भी नही था मुझे ये भी पता नही था कि अब आगे मझको क्या करना है ,कहाँ जाना है?
बस मैं चले जा रहा था और अब मेरे पास एक नया परिवार एक घर है उसके बाद मैं सो गया और आने वाले फ्यूचर के बारे में सोचने लगा लेकिन मुझे ये नही पता था कि आगे किस्मत मेरे साथ क्या खेल खेलने वाली है।
My robot wife a different love story अगला दिन
मुझे रात को बहुत ही अच्छी नींद आयी जब मैं सुबह उठा तो दादाजी मेरे सामने ही खड़े थे और उन्होंनेल कहा बेटा उठ जाओ और नहा धो कर फ्रेश होकर नीचे आ जाना तुम्हारा नाश्ता नीचे रखा है जल्दी आना साथ मे नाश्ता करेंगे ।इसके बाद मैं नह धो कर नीचे गया नीचे रखा नाश्ता देखकर मुझे कुछ याद आया जब मेरी सौतेली माँ सुबह कुछ नाश्ता मांगता था तो वो मुझको नाश्ते के नाम पर दो दिन पहले की सूखी हुई रोटी दिया करती थी और कहती थी कि कुछ कम तो करता नही बस पूरा दिन खाने के अलावा और कुछ भी नही दिखता और वो सुखी रोटी मेरे सामने फेंक कर कहती ले ठूंस धीरे धीरे सारा घर बर्बाद कर देना। उस बात को याद करके मेरे मन का दर्द मेरी आँखों के रास्ते से पानी बनकर बाहर आने लगा तभी दादाजी अपनी जगह से उठे और मुझको अपने गले लगा लिया शायद वो समझ गए थे कि मैं किसी पिछली याद की वजह से रो रहा हूँ।
उसके बाद हम सबने मिलकर नाश्ता किया मैने दादाजी से पूछा कि आपके बेटे और बहू कहाँ है ये बात जैसे उनके कलेजे को चीर गयी क्योकि उनके बेटे और बहू का एक्सीडेंट हो गया। उन्होंने पता नही किस तरह इस दुःख से अपने आप को संभाला और मुझे बताया कि मेरे बेटे ने किसी दूसरे जाति की लड़की से शादी कर ली थी इसलिए मैंने उसको अपने घर से निकाल दिया था लेकिन जब मुझे अपनी गलती का एहसास हुआ और मैंने अपने बेटे और बहु को घर वापिस बुलाया तब वो दोनो दिया को साथ लेकर आ रहे थे कि उनकी गाड़ी का एक्सीडेंट हो गया उस एक्सीडेंट में मेरे बेटे और बहू की मौत हो गयी लेकिन मेरी पोती दिया कि जान भगवान ने बक्श दी।
तभी से दिया और मैं इस हवेली में अकेले रहते है।लेकिन अब तुम भी हमारे परिवार का एक हिस्सा हो।फिर हम तीनों ने नाश्ता करने के बाद बहुत सी गेम्स खेली।
दादाजी ने मुझे बताया कि वो एक साइंटिस्ट है और उन्होंने बहुत से अविष्कार किये है।तो मैंने उनसे पूछा क्या मैं भी आपकी तरह एक महान वैज्ञानिक बन सकता हूँ तब उन्होंने कहा हां पर तुमको बहुत मेहनत करनी होगी।
मैंने पूछा कि क्या दिया भी आपकी तरह साइंटिस्ट बनना चाहती है।
तब दादाजी ने कहा कि हाँ और वो बहुत मेहनत से सब कुछ सीख रही है।और वो मुझे एक कमरे में ले गए जहाँ पर कुछ छोटी मशीने पड़ी थी उन मशीनों की और इशारा करते हुए दादाजी ने कहा कि ये सब अविष्कार दिया ने ही किये हैं।फिर मैंने भी निश्चय कर लिया कि मैं भी दादाजी की तरह बहुत बड़ा वैज्ञानिक बनूंगा।