हेलो दोस्तो आपका स्वागत है dhaliyabhai पर और आज मैं आपके लिए लेकर फिर से लेकर आया हु एक नई कहानी long story about family in hindi 2023 मेरा छोटा परिवार तो चलिए शुरू करते है।
long story about family in hindi 2023 मेरा छोटा परिवार
सोनू का अपना एक छोटा सा परिवार था जिसमे उसके माता पिता वो और उसकी एक छोटी सी बहन जो कि अभी 8 साल की थी।
सोनू की उम्र 19 साल की है और वो अभी से अपने परिवार के बारे में चिंता करता था।
वो सभी अपनी जिंदगी में बहुत खुश थे
लेकिन पता नही किसकी नजर लग गयी उनकी खुशियों को जो उनके साथ एक के बाद एक हादसे हो रहे थे।
उसके पिता राजवर्धन को पैरालिसिस का अटैक आया और वो बेड रेस्ट पर चले गए उनके घर मे वो ही एक कमाने वाले थे।
अब सोनू ने अपने घर की जिम्मेदारी को उठाने का फैसला किया।
वो अब जॉब ढूंढने लगा उसको एक जॉब मिली भी लेकिन वो सिर्फ 7000 रुपये महीना ही दे रहे थे।
सोनू ने सोचा कि कुछ नही मिलने से तो अच्छा है कि कुछ मिल जाये ।
इसलिए उसने वो जॉब करना शुरू कर दिया।
उसने ये भी सोचा था कि कुछ महीने इस जगह पर जॉब करूँगा और फिर एक्सपीरियंस मिलने के बाद किसी दूसरी जगह पर जॉब कर लूंगा जहां पर अच्छी सैलरी मिलती होगी।
इसलिए उसने 6 महीने तक वो जॉब की और फिर वो जॉब छोड़कर दूसरी जगह लग गया।
क्योकि उसने पहले से ही दूसरी नोकरी ढूंढना शुरू कर दिया था।
और अब उसके पास 6 महीने का एक्सपीरियंस भी था तो उसको 15000 रुपये महीने की जॉब मिल गयी।
अब उसको अच्छी जॉब मिल गयी वो मेहता ग्रुप के लिए काम करने लगता।
उसके पिता भी अब ठीक हो रहे थे वो अपने जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं को एक डायरी में लिखा करते थे।
एक दिन जब पिता राजवर्धन सोए हुए थे तो सोनू की नजर उनके पास पड़ी डायरी पर पड़ी सोनू ने सोचा कि देखते है पापा क्या लिखते है उस डायरी में।
उसने जब उस डायरी के पहले पन्ने को देखा तो वो हैरान हो गया।
क्योकि उस पन्ने पर एक बहुत बड़े परिवार की तस्वीर थी जिसमे लगभग 15 से 20 लोग थे।
उस तस्वीर के नीचे लिखा था मेरा परिवार।
ये देखकर सोनू हैरान था क्योकि उस तस्वीर में उसके पापा भी थे।
फिर उसने अगला पन्ना खोला तो उसमें एक बूढ़े आदमी की तस्वीर लगी थी जिसके नीचे दादाजी लिखा था।
उसके बाद एक बूढ़ी औरत की तस्वीर थी जिसके निचे दादी माँ लिखा था।
फिर पिताजी और माँ की भी तस्वीरे थी इस तरह आगे सभी की तस्वीरों के नीचे उनके नाम और पहचान लिखी थी।
उसके बाद उस डायरी में उस समय की बात लिखी थी जब पिताजी की शादी माँ से हुई पिताजी ने माँ से लव मैरिज की थी।
उनकी शादी के बाद पिताजी ने उस घर से निकाल दिया गया ।
क्योकि उनके पिता ने उनकी शादी अपने किसी दोस्त की बेटी के साथ तय की थी।
और शादी के 5 दिन पहले राजवर्धन ने शादी कर ली थी वो भी अपनी पसंद की लड़की से ये सब देखकर राजवर्धन के पिता हर्षवर्धन बहुत दुखी थे क्योकि राजवर्धन ने उनकी इज्ज़त को खाक में मिला दिया।
इस वजह से हर्षवर्धन ने माँ और पापा दोनों को घर से निकाल दिया।
फिर पापा यहां आ गए और उन्होंने अपनी नई छोटी सी दुनिया बसा ली। पापा अपने पिताजी को बहुत प्यार करते थे इसलिए वो हर वक्त उनको याद करते थे।
क्योकि उस डायरी में सोनू के दादाजी का जिक्र बहुत बार था।
ये सब पढ़कर सोनू ने सोचा कि मैं हमेशा से चाहता था कि मेरा एक बहुत बड़ा परिवार हो।
जिसमे दादा दादी चाचा चाची बुआ फूफा और उनके बच्चे लेकिन उसका ये सपना हमेशा सपना ही रहता था।
लेकिन अब उसको अपने परिवार और गांव के बारे में पता था तो उसने वहां पर जाने का निश्चय किया।
उसने अपने पापा से इस बारे में बात की और कहा कि हमारा इतना बड़ा परिवार है और अपने कभी हमको इस बारे में बताया ही नही।
तब राजवर्धन ने कहा कि बेटा बता कर भी क्या होता मेरे पिताजी बहुत जिद्दी है एक बार जो उहोनें जो फैसला कर लिया उसके बाद में वो उससे पीछे नहीं हटते।
उन्होंने जब कह दिया कि हम उनके लिए मर गए तो बस मर गए।
तुमको पता है उन्होंने मेरा पिंड दान भी करवा दिया।
अब तूम बताओ मैं क्या बताऊँ तुमको।
सोनू ने कहा कि मैं वहां जाऊंगा और उनको मना कर हम सब उनके पास ही चलेंगे।
मेरी हमेशा से ही इच्छा थी कि मेरा भी परिवार बहुत बड़ा हो।
इसलिए मैं वहां जाना चाहता हूं।
बहुत मनाने पर पिता ने हाँ कर दी सोनू चल दिया अपने दादाजी से मिलने के लिए।
अब वो वहां पर पहुंच गया और देखा कि उसके दादाजी का घर तो एक महल की तरह था।
बाहर से ही वो इतना शानदार था तो अंदर से कैसा होगा।
बाहर एक बूढ़ा से आदमी खड़ा था उसने सोनू से पूछा कि तुम कौन हो और यहां क्या कर रहे हो।
तब सोनू ने सब कुछ उसको बता दिया ये सब सुनते ही वो आदमी बोला तुम राज बाबा के बेटे हो तुम्हारे पिताजी को मैने अपने हाथों में खिलाया है।
क्या आप बनवारी चाचा है सोनू ने कहा ।
तुम मुझे जानते हो उस बूढ़े आदमी ने कहा ।
सोनू बोला हां आपके बारे में पिता जी ने बहुत कुछ बताया है।
वो आज भी आपको बहुत याद करते है।
उसके बाद वो सोनू को अंदर ले गया।
वो महल रूपी बंगला बाहर से जितना शानदार था अंदर उससे बहुत ज्यादा आलीशान था।
बनवारी काका ने चिल्ला कर सभी को बुलाया और मेरे बारे में बताया।
सभी लोग मेरे बारे में जानकर बहुत खुश हुए दादी ने तो मुझको अपने गले से लगा लिया।
क्योकि वो मुझमे अपने बेटे की छवि देख रही थी।
मैं लगभग पिताजी की तरह ही दिखता था।
दादाजी भी मेरे पास आये और मुझको आशीर्वाद दिया।
उन्होंने कहा कि वो कहाँ है।
मैंने कहा कि उनको पैरालिसिस का अटैक आया है इसलिए वो बेडरेस्ट पर है।
ये सुनते ही दादाजी के पैर कांपने लगे उन्होंने कहा ये सब कब हुआ तब मैंने कहा कि 6 महीने पहले ही पाप को अटैक आया था।
तब से वो रेस्ट पर है।
फिर दादाजी ने कहा कि मुझे उसके पास जाना है।
तब मैं उन सबको अपने साथ अपने घर ले गया और वहां जाने के बाद दादाजी ने डांटते हुए पिताजी से कहा कि एक बार घर से जाने के बाद मुड़कर भी नही देखा।
ये भी नही सोचा कि हमारा क्या हाल हो रहा होगा।
हम जी रहे है या मर रहें है किसी भी चीज के बारे में पता नही किया।
पिताजी नेकहा की मुझे लगा आप अभी भी नाराज है इसलिए मैं कभी वहां नही गया।
दादी ने भी पापा को बहुत डांटा ये सब देखकर मैं बहुत खुश हो रहा था।
माँ ने भी दादाजी के पैर छुए और माफी मांगी दादा जी ने कहा कि माफी तो इस नालायक के माँगनी चाहिए क्योंकि इसने मेरे परिवार को मुझसे दूर रखा।
इसप्रकार सभी ने अपने गीले शिकवे दूर किये।
फिर दादाजी हमको अपने घर ले गए।
मुझे फिर ये पता चला की मै जिस कम्पनी में काम करता हु उस कम्पनी का मैं मालिक हूँ।
इस तरह मेरे परिवार का सपना पूरा हुआ।
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