New famous hindi short reading stories अनोखा बन्धन

हेलो दोस्तो आपका स्वागत है dhaliyabhai.com पर और आज मैं आपके लिए एक नई कहानी लेकर आया हु अनोखा बन्धन famous hindi short reading stories जिसमे आपको ये सीखने को मिलेगा की अगर कोई अपने मन मे दृढ़ विश्वास कर ले कि उसको किसी फील्ड में सफलता प्राप्त करनी है तो उसको कोई भी नही रोक सकता और वो अपनी मंजिल पा कर ही रहता है। इस कहानी में राजू नाम का किरदार मैं निभा रहा हूँ।तो चलिए शुरू करते है।

अनोखा बन्धन famous hindi short stories reading

एक बार एक गांव में एक आदमी रहता था उसका नाम मोहन था। वैसे तो वो बहुत गरीब था लेकिन अपने परिवार के लिए इतना तो कमा लेता था कि उनका गुजारा हो जाये उसके दो बच्चे थे।

एक लड़का और एक लड़की दोनो भाई बहन अपने पिता की हालत को समझता थे और कभी भी अपने पिता को किसी भी चीज के लिए फोर्स नही करते थे ।

एक बार की बात है गांव में बाढ़ आ गयी और उस बाढ़ में मोहन और उसकी पत्नी की मृत्यु हो जाती है।

लेकिन मोहन के दोनों बच्चे उस बाढ़ से बच जाते है लेकिन राजू को पैरों के ऊपर के हिस्से का आधा शरीर काम करना बंद कर देता है।

वो एक अपाहिज की तरह बड़ा होने लगता है वो दोनो अपने चाचा चाची के घर पर रहते है।
गांव के सभी बच्चे मुझको बहुत तंग करते थे और मेरे पीछे पागल पागल कह कर दौड़ा करते थे।
मैं इस सब से बहुत परेशान हो जाता था लेकिन मैं बेबस था और कुछ भी नही कर सकता था।
मेरा का सारा काम मेरी बहन पार्वती किया करती थी।
मुझको नहलाना खाना खिलाना कपड़े पहनाना और भी जो रोजाना के काम थे वो सब वही करती थी।
वो मुझसे बहुत प्यार करती थी जब वो मेरे साथ होती तो वो मुझको किसी को भी छेड़ने नही देती थी।
वो मेरे लिए ढाल की तरह थी।
लेकिन मेरी वो ढाल मेरे साथ ज्यादा दिनों के लिए नही थी।
अब उसकी शादी की उम्र हो गयी और पार्वती के चाचा चाची ने उसकी शादी एक बहुत ही अच्छे घर मे कर दी।
पार्वती की शादी होने के बाद उसके भाई का क्या होगा ये सोचकर उसने शादी करने से इनकार के दिया।लेकिन चाचाजी ने उसको समझाया कि वो मेरा ख्याल रखेंगे।
उनके समझाने पर वो शादी के लिए मान गयी लेकिन उसका मन अभी भी मेरी और ही था।
उसकी शादी हो गयी और वो अपने ससुराल चली गयी।
पीछे से मेरा रो रो कर बुरा हाल हो गया।
दिन बीतते गए और मुझ पर गांव के कुछ बिगडैल बच्चों का अत्याचार बढ़ गया कभी तो वो मेरे कपड़े फाड़ देते कभी मुझको गांव की नाली में गिरा देते।
मेरे के लिए ये सब सहन करना अब उसके बस में नही था इसलिए वो उस गांव से चल पड़ा अपनी बहन को ढूढने मैंने किसी को भी नही बताया था।
इसलिए मुझको मेरे चाचा चाची ढूंढने लगे लेकिन वो उनको नही मिला।

जब कुछ दिन बाद पार्वती गांव में आई तो उसको पता चला कि मैं उस गांव से कहीं चला गया है ।

उसके चाचा ने बताया कि उन लोगो ने मुझको ढूंढने की बहुत कोशिश की लेकिन वो कहीं नही मिला।

उसके बाद वो अपने पति के साथ मिलकर मुझको ढूंढने लगी लेकिन उसको मेरा कुछ पता न चला।

इस तरह कई साल बीत गए अब पार्वती भी मुझको ढूढते ढूंढते थक चुकी थी।इसलिए अब वो अपने ससुराल चली गयी।

फिर एक दिन उस गांव में एक बहुत ही महंगी गाड़ी में कोई आया वो कोई और नही बल्कि मैं था।

मैं एक जेंटलमैन की तरह दिख रहा था। मैं अब बिल्कुल ठीक हो चुका था और बहुत अमीर भी हो चुका था।

अब मैं अपने चाचा के घर गया और मुझे देखते ही उनके पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई।उनको विश्वास ही नही हुआ कि ये वही राजू है।

कुछ ही सालों में ये सब कैसे हो गया उसके चाचा ने मुझसे पूछा मैंने उनको बताया कि जब वो गांव के उन लफंगे बच्चों से तंग आ कर ये गांव छोड़कर चला गया।

तब मैं बस चलते ही जा रहा था मुझे पता नही था कि कहाँ जाना है लेकिन मैं फिर भी चल रहा था।

चलते चलते मैं शहर पहुंच गया और मेरी टक्कर एक गाड़ी से हो गयी।
उसके बाद मुझे दो दिनों बाद होश आया मैंने अपने आपको एक हॉस्पिटल में पाया।

मेरे होश में आने की खबर जल्द ही उस इंसान तक पहुंच गई उनका नाम प्राची था वो पेशे से एक डॉक्टर थी।जो आगे चल कर मेरी जिंदगी बदलने वाली थी।

वो मेरे पास आई और बोली कि क्या आप ठीक है। उसके पास आते ही मेंरा मन शांत हो गया उसने मुझसे माफी मांगी क्योकि मेरा एक्सीडेंट उसी की गाड़ी से ही हुआ था ।

उसने कहा कि क्या आपको ये बीमारी बचपन से ही है।।मैं उसको कुछ जवाब नही दे सका क्योकि एक्सीडेंट की वजह से मेरी याददाश्त चली गयी थी।

वो एक पैरालाइसिस स्पेशलिस्ट थी। फिर उसने मेरा इलाज शुरू कर दिया

हम दोनों बहुत ही अच्छे दोस्त बन चुके थे।उसके कुछ ही महीनों के प्रयास से मैं बिल्कुल ठीक हो गया।

ठीक होने के बाद भी मेरी याद्दाश्त वापिस नही आ पाई मैं उनके घर मे ही रहता था और उसके पिताजी से भी मेरी अच्छी बनने लगी थी।

उनको मैं इस कदर पसन्द आ गया कि उन्होंने अपनी बेटी की शादी मुझसे करवाने का फैसला किया और कुछ दिनों बाद हम दोनों ने शादी कर ली।

फिर एक दिन जब रक्षाबंधन का त्यौहार आया तब वो अपने छोटे भाई को राखी बांध रही थी।

तब उसकी राखी को देखकर मुझे मेरी बहन याद आ गयी और मेरी याददाश्त भी वापिस आ गयी और मैं अपनी पत्नी को लेकर यहाँ चला आया उसके बाद मेरे चाचा जी मुझको पार्वती के पास ले गए।

अपनी बहन को देखते ही मेरी आंखों से और पार्वती की आंखों से गंगा जमुना बहने लगी हमारी ये कहानी यहीं खत्म होती है।

आपको हमारी ये कहानी अनोखा बन्धन hindi short reading stories कैसी लगी कॉमेंट में बताए अगर आपको ये short hindi story अच्छी लगे तो शेयर भी करे। धन्यवाद।

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