Facts about hanuman ji in hindi के बारे में कुछ अनसुनी कहानियां

हेलो दोस्तो आपका स्वागत है dhaliyabhai.com पर और आज मैं आपके लिए लेकर आया हूँ Facts about hanuman ji in hindi के बारे में कुछ अनसुनी कहानियां तो चलिए शुरू करते है।

हनुमान जी का जन्म और नामो का रहस्य Facts about hanuman ji in hindi

हनुमान जी वानरराज केसरी जी और माता अंजना जिनको माता अंजनी भी कहा जाता है उनके पुत्र थे उनका पूर्व जन्म में नाम पुंजिकस्थला था जो कि स्वर्ग की एक अप्सरा थी।लेकिन किसी श्राप के कारण उनको धरती पर जन्म लेना पड़ा था।इस जन्म में इनका विवाह वानरराज केसरी से हुआ था।उन्होंने पुत्र प्राप्ति के लिए भगवान शिव की घोर तपस्या की थी।उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनके पुत्र के रूप में ग्यारहवे रुद्र के रूप में अवतार लिया इसलिए इनको शंकर सुवन कहा जाता है और माता अंजना पुंजिकस्थला के रूप में पवनदेव की पत्नी थी इसलिए इनको पवनपुत्र कहा जाता है।इनका जन्म का नाम मारुति था।एक बार जब मारुति छोटे थे तब मारुति ने सूरज को फल समझकर सूरज को खाने के लिए उड़ चले तभी इनका इंद्र के साथ युद्ध हुआ उस युद्ध मे इंद्र ने पूरा प्रयास किया पर वो हनुमान जी को रोक नही पाए इसलिए उन्होंने अपने वज्र से उन पर वार किया वज्र मारुति की ठोड़ी पर लगा ठोड़ी को हनु भी कहा जाता है इससे इनका नाम हनुमान पड़ा।वज्र की चोट से हनुमान जी बेहोश हो गए और नीचे गिरने लगे तब पवनदेव ने आकर उनको पकड़ा और पूरी दुनिया की हवा को रोक दिया।पूरी दुनिया मे हाहाकार मच गया ये सब देखकर सब पवनदेव के पास गए और हनुमानजी को बहुत सी शक्तियां और वरदान दिए।उनमें से एक वरदान के था कि हनुमानजी का शरीर वज्र के समान होगया इस कारण इनको वज्रांग या बजरंग कहा जाता है। केसरी जी का पुत्र होने में कारण केसरी नन्दन और अंजनी के पुत्र होने के कारण अंजनी कुमार कहा जाता है।हनुमानजी के और भी बहुत से नाम है।

राम जी उनको भरत सम भाई क्यो कहते थे? Facts about hanuman

एक कथा के अनुसार जब दशरथ जी ने पुत्र कामेष्टि यज्ञ करवाया तो उस यज्ञ से उनको जो चरु प्राप्त हुआ उसको दशरथ जी ने अपनी तीनो रानियों में बंट दिया लेकिन महारानी सुमित्रा का चरु एक गरुड़ ले गया तब महारानी कौशल्या और कैकयी ने अपने चरु में से आधा आधा महारानी सुमित्रा को दे दिया।जिससे उनके दो पुत्र हुए।अब वो चरु गरुड़ जी ने माता अंजना की झोली में दाल दिया और पवन देव के कहने पर उन्हों ने वो चरु ग्रहण किया जिससे हनुमान जी का जन्म हुआ इस कारण राम जी हनुमानजी को भरत के समान भी कहते थे।

क्या हनुमानजी ने पूरी लंका जला दी थी? Facts about hanuman ji

नही हनुमानजी ने पूरी लंका को नही जलाया था उन्होंने अशोक वाटिका को नही जलाया क्योकि वहां माता सीता थी और विभीषण जी के घर को नही जलाया क्यो की वो राम भक्त थे और एक राम भक्त दूसरे राम भक्त को सपने में भी नुकसान पहुंचाने का नही सोच सकता।

क्या राम जी के डालने पर पत्थर समुद्र में तैरे थे?

जब लंका में जमे के लिए सभी वानर समुद्र में बड़े पत्थरों पर राम नाम लिखकर समुद्र में दाल रहे थे तो राम जी ने सोचा थोड़ी मि भी मदद कर लूं।लेकिन उनके डालते ही पानी मे वो पत्थर दुब गया। तब हनुमानजी ने बहुत सुंदर बात कही की प्रभु पत्थर तो इसलिए तैर रहे है क्योंकि उन्होंने नाम के रूप में आपका साथ पाया है लेकिन जिसको आपने त्याग दिया या फैंक दिया तो वो तो इस भव सागर में डूबेगा ही।
ये कुछ सुनी अनसुनी कथाएं थी हनुमानजी के बारे में।

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