दूसरा अध्याय भविष्य की दुनिया और सागर

प्रोफेसर प्रमोद सर का लेक्चर
कॉलेज में घुसते ही वो गायब हो गयी पर मुझे क्या लेना था उससे मैं भी अपनी क्लास की तरफ चल दिया।
मैं अपनी जगह पर जाकर बैठ गया कुछ देर बाद मैं अपनी स्टडी में लग गया क्योकि मेरा फ्रेंड जय नही आया था इसलिए मैंने सोचा कि आज पढ़ाई ही कर ली जाए।
तभी मेरी नजर गेट पर पड़ी मैने देखा वही लड़की जो मेरे साथ आई थी वो गेट से अंदर आ रही थी।
पहले जब मैं उससे मिला तब मैंने उसको गौर से नही देखा था
लेकिन अब उससे मेरी नजर नही हट रही थी।सिर्फ मेरा ही ये हाल नही था पूरी क्लास में सब उसको इसी तरह से देख रहे थे और देखे भी क्यों न वो थी ही इतनी खूबसूरत पहले तो मुझे कॉलेज आने की जल्दी थी ।
इसलिए मैंने उसे ध्यान से नही देखा था लेकिन अब उस से नजर ही नही हट रही उसकी खूबसूरती और सादगी भरा अंदाज जैसे दिल मे सुइयां सी चुभो रहा था।
उसका चेहरा तपे हुए सोने के समान अपनी कांति बिखेर रहा था।उसकी हंसी मानो गुलाब की पंखुड़ी बिखेर रहे थे।
खुदा ने उसे बहुत तसल्ली से बनाया होगा शायद।
अब मेरा मन बार बार उससे बात करने को हो रहा था पर क्या वो मुझसे नाराज होगी ये सोच कर डर भी लग रहा था।अब वो धीरे धीरे मेरे ही पास आ रही थी।
उसने अपनी नजरें चारो और घुमा कर देखा कि कहाँ पर सीट खाली है ।वो धीरे धीरे मेरी तरफ बढ़े जा रही थी । जैसे जैसे वो मेरे पास आ रही थी वैसे वैसे मेरे दिल की धड़कनें भी बढ़ती जा रही थीं।
मैने सोचा कि मेरे पास की सीट खाली है तो शायद वो मेरे पास ही बैठेगी।
पर वो मुझे पीछे छोड़ मेरे पीछे वाली बेंच पर बैठ गयी।
फिर तभी जय ने आकर मुझे हिलाया मैं अचानक से वापिस स्टेबल हो गया क्योकि मैं उस लड़की को ही देखे जा रहा था।
मेरी नजरें कुछ और देख ही नही रही थी मेरा पूरा ध्यान उसी लड़की पर ही था।
अब मैं जब स्टेबल हो गया तो जय बोला क्या कर रहे थे तुम अभी। अरे कुछ नही मैंने कहा ।
फिर हमारे प्यारे प्रोफेसर प्रमोद सर ने भी हमारे क्लास में एंट्री ली। प्रमोद सर हम सभी स्टूडेंट्स के चहेते प्रोफेसर है
क्योंकि बाकी सभी प्रोफेसर हमें एक प्रोफेसर की तरह पढ़ाते थे लेकिन प्रमोद सर हमारे साथ बहुत ही फ्रेंडली बिहेव किया करते थे।
उनकी क्लास में हम कभी बोर नही होते और उनका समझाया गया हम सब बहुत जल्दी समझ जाते।
वो हमेशा हमें कहते कि तुमको कोई भी डाउट हो तो कभी भी उनको फोन करके पूछ सकते हो और हम करते भी ऐसा ही थे।
पढ़ाई में हम कोई भी डाउट आता तब हम उनको फोन करके पूछ लिया करते थे। प्रोफेसर प्रमोद सर का लेक्चर ही हम सबको सबसे ज्यादा पसंद था।