हेलो दोस्तो आपका स्वागत है dhaliyabhai.com पर और मैं आज आपके लिए Bhagwan ki kahaniyan| सनातन धर्म और चरित्र लेकर आया हु | दोस्तो पहले हमारे कल्चर में हमारे दादी नानी हमको बहुत सी कहानियां सुनाती थी जिसमे परियो की कहानी जादुई कहानी भगवान की कहानी ऐसी और भी बहुत सी कहानी सुनाया करती थी जिससे हमको प्रेरणा मिले और हम अपने जीवन मे कभी भी कोई भी मुश्किल में हो हम उसका सामना करने के लिए कहानियां सुनाया करती थी जिससे हमारा चरित्र शुद्ध हो ।
Bhagwan ki kahaniyan| सनातन धर्म और चरित्र
हमारे भारतवर्ष में पहले चरित्र यानी कैरेक्टर को अच्छा बनाने पर ध्यान दिया जाता था।
जिससे हमारी पर्सनेलिटी भी अच्छी हो जाती थी लेकिन आज कल चरित्र (कैरेक्टर) की बजाय पर्सनेलिटी यानी व्यक्तित्व पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है जिससे हमारा चरित्र कमजोर रह जाता है और एक कमजोर चरित्र एक कमजोर मानसिकता को जन्म देता है। मजबूत व्यक्तित्व से हम ये दिखावा कर सकते है कि हमारा चरित्र बहुत अच्छा है लेकिन असल मे हम ही जानते है कि हमारा चरित्र कैसा है।
अब उदाहरण के लिए मान लीजिए आपको सरकार और सभी बड़ो या जिसका भी आप सम्मान करते है उनकी तरफ से ये कह दिया जाए कि आप जो चाहे वो कर सकते है किसी को भी कोई भी पुलिस या कानून या आपके बड़े कुछ भी नही कहेंगे आप हर तरह से मुक्त है कुछ भी करने के लिए तब आपके मन मे सबसे पहला विचार क्या आएगा आप खुद ही सोचिए आपको खुद ही पता चल जाएगा कि आप का चरित्र कैसा है। हम अभी सिर्फ डर के कारण ऐसा दिखाते है कि हमारा चरित्र अच्छा है लेकिन जैसे ही हमारा डर खत्म होता है तो हमारा असली चेहरा सामने आ जाता है लेकिन अगर आपका चरित्र मजबूत होता है तो आप अच्छी तरह से सही और गलत का फर्क जान जाते है और आपके मन मे कुछ गलत करने का भाव भी नही आता।
यही फर्क होता है अच्छे व्यक्तित्व और अच्छे चरित्र में।आप मुझे भी कॉमेंट में बताइए कि आपने क्या सोचा।
तो हमारा चरित्र ही अच्छा होना चाहिए अगर कैरेक्टर अच्छा होगा तो पर्सनेलिटी अपने आप ही अच्छी हो जाएगी।
पहले हमारे पूर्वज सब कोई भी कम करते थे तो वैज्ञानिक तरीके से करते थे।
सुबह से श्याम तक के सारे काम और रात में सोना कैसे है ये सभी कुछ वैज्ञानिक तरीके से ही करते थे आज हम उसको तकियानुसी तरीके बोलते लेकिन हम ये नही जानते कि वो जो भी करते थे उसमे विज्ञान था।
जैसे सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि करके ध्यान करना उनको पता था कि ब्रह्ममुहूर्त में मेडिटेशन से जो फायदा मिलता है वो फायदा बाद में करने से नही मिल पाता ।
सूर्यनमस्कार करना सूर्यनमस्कार करने से हमारे पूरे शरीर की स्ट्रेचिंग हो जाती है ये बात वो लोग जानते थे और भी बहुत से योगसन और प्राणायाम की क्रिया किया करते थे।
जिससे हमारे शरीर को बहुत लाभ प्राप्त होते थे।
हफ्ते में एक बार उपवास करने के भी बहुत फायदे होते है ये भी उनके दैनिक जीवन का ही अंग था।
ये बातें विज्ञान ही तो है ऐसे और भी बहुत से दैनिक कार्य थे जो वो अपने जीवन शैली में अपनाते थे।
जिससे वे लम्बा जीवन जिया करते थे ये सब हमे विरासत में मिला था और पीढ़ी दर पीढ़ी हम इसे अपना रह थे लेकिन जब मुगलो ने हम पर आक्रमण किया तब उन्होंने हमारे पूर्वजों का जबरदस्ती धर्म परिवर्तन कराया।
उसने हमारे सभी धर्म ग्रन्थों को नष्ट करने की कोशिश की हमारे मन्दिरो को तुड़वाया।
लेकिन फिर भी हमारी संस्कृति को हमारे आचरण से खत्म नही कर सका।
क्योकि वो ज्ञान हमारी जीवन शैली बन चुका था।
उसके बाद अंग्रेजों ने हमको गुलाम बनाना चाहा लेकिन उनको पता था कि भारत को यदि गुलाम बनाना है तो इनकी जीवन शैली को बदलना पड़ेगा।
इसलिए उन्होंने हमारे गुरुकुल परम्परा को नष्ट करने की सोची क्योकि हमे जो भी ज्ञान प्राप्त होता था वो गुरुकुल से ही प्राप्त होता था।
उन्होंने हम पर अपना शासन तो लागू कर दिया लेकि। हमारी जीवन शैली को नही बदल पाए।
इसलिए उन्होंने हमारे गुरुकुलों को बंद करवाकर कॉन्वेंट स्कूल का निर्माण कार्य प्रारंभ किया।
जहाँ पर हमें पश्चिमी शैली को सिखाया जाने लगा बाद में धीरे धीरे हम अपनी संस्कृति को भूलने लगे लेकिन आज भी वो हमारे जीवन से हमारी संस्कृति को पूरी तरह से नही निकाल पाए।
क्योकि हम सनातन धर्मी है और सनातन धर्म हमारे खून में रमा हुआ है।
इसलिए आज भी सनातन धर्म जिंदा है जिसमे हमे कैसे जीना है ये सिखाया जाता है।
दोस्तो भगवान श्रीराम के कैरेक्टर के बारे में तो सब जानते है उन्होंने अपने सभी धर्मों का पालन बहुत ही निष्ठा से किया भले ही वो कोई भी धर्म हो।
अब आप धर्म का मतलब हिन्दू या मुस्लिम धर्म से मत लगा लेना।
मैं यहां पर पुत्र धर्म शिष्य धर्म पति धर्म और राज धर्म और भी बहुत से धर्म है जिसका पालन श्रीराम जी ने बड़ी निष्ठा से किया।
जैसे पुत्र धर्म निभाने के लिए उन्होंने अपने पिता के वचनों का मान रखा और अपना पूरा राज पाठ त्याग कर वन में जाने का निश्चय किया।
शिष्य धर्म की उन्होंने हमेशा पालन किया और अपने गुरुदेव के आदेश के बिना कोई कार्य नही करते थे कोई भी कार्य करने से पहले अपने गुरु से आज्ञा प्राप्त करते थे।
पति धर्म के लिए रावण से युद्ध किया तो जब वे राजा बने तो राज धर्म के लिए अपनी पत्नी का भी त्याग करना पड़ा।
इसलिए मैं अपने सभी भी बन्धुओ से ये निवेदन करता हूँ कि पुनः अपनी पुरातन जीवन शैली को अपनाए क्योकि जिन अंग्रेजो ने हमको हमारी संस्कृति से दूर किया आज वो हमारी वैदिक संस्कृति को अपना रहे है।
तो क्या हम भी अपनी वैदिक संस्कृति को नही अपना सकते जिससे हम अपने कैरेक्टर को निखार सकें।
दोस्तो आज इतना ही आपको ये पोस्ट Bhagwan ki kahaniyan सनातन धर्म और चरित्र कैसी लगी कॉमेंट करे अगर आपको ये पोस्ट अच्छी लगे तो शेयर भी करे धन्यवाद।
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