दुःखी होने का क्या कारण है ? Bhagwan ki kahani

हेलो दोस्तो आपका स्वागत है dhaliyabhai पर और आज मैं आपके लिए एक अलग कहानी लेकर आया हूँ । दुःखी होने का क्या कारण है ? ये सवाल हर किसी के मन मे ही रहता है भले वो कोई भी हो हर किसी के मन मे ये सवाल आता है कि मुझे किस कर्म के फल के कारण ये दुःख मिल रहा है या मैंने तो कोई पाप नही किया लेकिन फिर भी मैं दुःखी क्यों हूँ दोस्तो हर कोई सोचता है कि उसने कभी कोई गलत काम नही किया लेकिन वो दुनिया को ही नही अपने आप को भी बेवकूफ बना रहा होता है।

भले ही वो ऊपर से दिखाए की वो कितना अच्छा है लेकिन उसकी अंतरात्मा ये जानती है कि वो कैसा है फिर भी वो अपने आप को हमेशा सही बताता है।

लेकिन ईश्वर का ये विधान है जो जैसा करेगा वो वैसा भरेगा। इसी कारण जो अच्छे कर्म करता है उसको सुख और जो बुरे कर्म करता है उसको दुःख प्राप्त होता है भगवान श्रीकृष्ण ने भगवत गीता में कहा है कि मनुष्य के हाथ मे केवल कर्म करना है लेकिन उस कर्म का फल देना भगवान के हाथ मे है।ये भी कहा जाता है कि इंसान जब भी कोई बुरा कर्म करने के बारे में सोचता है।

तब उसकी अंतरात्मा बार बार उसको गलत कर्म करने से रोकती है लेकिन उसका मन उसको वो गलत कर्म करने को उकसाता है और वो अंत मे अपने मन से हार जाता है ये उसके साथ हर बार होता है और ऐसा करते करते वो इतना नीचे गिर जाता है कि उसको बाद में अपने अंतरात्मा की आवाज सुनाई नही देती।

हमारी आज की कहानी भी इसी टॉपिक पर है कि दुःखी होने का कारण क्या है ?

आज मैं आपके लिए एक अलग कहानी लेकर आया हूं इस कहानी में सिद्धार्थ और आरती नाम के एक पति पत्नी की वैसे तो ये कहानी एक काल्पनिक कहानी है ।

लेकिन इस कहानी में आपको जीवन की कुछ सच्चाई भी नजर आएगी।

इसमें सिद्धार्थ की जगह मैं अपने आप को रखूंगा आप इसको bhagwan ki kahani भी कह सकते है क्योंकि इस कहानी में कुछ शिक्षा भी है और bhagwan के बारे में भी इस कहानी में आप पढ़ेंगे तो चलिए आज की कहानी शुरू करते है।

Bhagwan ki kahani दुःखी होने का क्या कारण है ?

मेरा नाम सिद्धार्थ है और मैं महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव में रहता हूं मेरे परिवार में मैं और मेरे चाचा चाची है जो मुझको बहुत प्यार करते है।

मेरे माता पिता की एक दुर्घटना में मृत्यु हो गयी थी उसके बाद मैं मेरे चाचा चाची के पास ही रहता था मेरे चाचा तो शांत स्वभाव के है लेकिन मेरी चाची बोली से थोड़ी कड़वी है लेकिन अंदर मन से एकदम अच्छी है।

मैं बचपन से ही बहुत धार्मिक स्वभाव का हूँ और मैं भगवान नरसिंह देव को ही मेरे इष्टदेव के रूप में पूजा करता हूं ।क्योकि जब मैं छोटा था तब से ही मैंने भक्त प्रह्लाद और नरसिंह देव की कहानी अपने चाचा के द्वारा सुनी है।

मैं जब भी किसी मुसीबत में होता तब उनको ही याद करता था।मैं अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए मुम्बई में आया था।मेरे चाचा जी ने बहुत मेहनत की थी और उनका ये सपना था कि मैं पढ़ लिख कर एक सफल आदमी बनूं।

इसलिए मैंने भी पढ़ने लिखने में कोई कसर नहीं छोड़ी और हर साल मै टॉप करता था।लेकिन अब मैं कॉलेज में आ गया हूँ और यहां का माहौल गांव से बिल्कुल अलग है।मैं सोचता था कि क्या मैं इस माहौल मे भी अपने आप को इस काबिल बना पाऊंगा कि यहाँ भी टॉप कर सकूं।

आज मुझे कॉलेज में आये 2 महीने हो गए है। अब मेरे कई दोस्त भी बन गए है।

हम चार लोग तो हमेशा ग्रुप में ही स्टडी करते है।रिया और मयंक बहुत मस्ती करते रहते है लेकिन आरती बहुत चुप सी रहती थी।

मैंने कई बार उसकी उदासी का कारण पूछा लेकिन उसने हर बार मेरी बात को टाल दिया।
लेकिन आज मैंने पक्का कर लिया है कि आज मैं उससे उसकी उदासी का कारण पूछ कर ही रहूंगा।

आज भी वो बहुत उदास लग रही है मैं आरती के पास गया और उसको कहा आरती आज तो तुमको बताना  होगा की क्या बात है मैंने उससे बार-बार यह सवाल किया आखिर में हार कर उसने बताया की।

Uske ghar mein usse teen Chhote Bhai Bahan Hain और उसके पिता की भी जॉब चली गई है ।

इसलिए अब मुझे भी को कोई ना कोई काम ढूंढना होगा जिससे मैं अपने परिवार को पाल सकूं ।

इसके बाद वह अपनी क्लास में चली गई। मैं भी उसके पीछे पीछे क्लास में चला गया।

क्लास खत्म होने के बाद हम दोनों ने मोबाइल में नौकरी तलाश करने के लिए देखना शुरू किया ।

मैंने आरती से कहा कि तुम किस तरह की जॉब करना चाहती हो तब उसने कहां की किसी भी तरह की हो वैसे तो मैं कंप्यूटर चला सकती हूं टाइपिंग स्पीड भी अच्छी है।

तब हम मोबाइल में बहुत सी जॉब के लिए अप्लाई कर दिया।अगले दिन से ही इंटरव्यू के लिए मेरे पास कई मेल आने लगे।

मैने आरती को बताया कि नोकरी के लिए बहुत से मेल आये है।तुम इनमें से सलेक्ट करो और आज ही इंटरव्यू देने जाएंगे।

आरती ने पूछा तुम भी साथ जाओगे मैने कहा कि मैं भी सोच रहा हु की पार्टटाइम जॉब कर लूं।

उसके बाद हम दोनों जॉब इंटरव्यू के लिए चले गए।हमारी किस्मत अच्छी थी कि हमको एक ही कम्पनी में जॉब मिल गयी।

अगले दिन से हम दोनों कॉलेज के बाद साथ ही जॉब पर जाया करते थे।

अब इस तरह 8 साल बीत गये और अब हमने अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर ली और मुझे सीए का जॉब मिल गई।
आरती और मैने शादी कर ली।

हम दोनों शहर में ही रहने लगे और मेरे चाचा चाची गांव में ही थे।क्योंकि आरती और मेरी चाची की आपस मे नही बनती थी और रोज घर मे झगड़े होते थे।

इसलिए चाचा जी ने कहा कि तुम दोनों शहर में ही रह लो।फिर हम शहर आ गए।हमारी शादी को अब 2 महीने हो गए है आज शुक्रवार का दिन है मैं हमेशा की तरह अपने ऑफिस के लिए निकल गया।

मैं ऑफिस पहुंचा ही था कि मुझे हमारे एक पड़ोसी सुधीर का कॉल आया कि आरती की तबियत खराब हो गयी है मैं और मेरी पत्नी आरती को हॉस्पिटल लेकर जा रहे है।

ये सुनकर मैं भी वापिस निकल गया और हॉस्पिटल पहुंचा तब डॉक्टर ने कहा कि आरती के पेट में तेजाब बन गया था शायद ये चाय बहुत पीती होंगी।

मैंने कहा हां डॉक्टर साहब दिन में बहुत चाय पीती है।तब डॉक्टर ने कहा वैसे तो घबराने की जरूरत नही लेकिन थोड़ा ध्यान रखना,इनको अब एक हफ्ते तक आराम करवाना और हो सके तो इनकी चाय थोड़ी कम करवा देना।

मैंने कहा ठीक है डॉक्टर वैसे आरती को छुटी कब तक मिलेगी।डॉक्टर ने कहा कि आज शाम को ही हम इनको डिस्चार्ज कर देंगे।फिर मैं उसको घर ले आया अब कुछ दिन बीत गए रात का समय था मुझे किसी के रोने की आवाज आई मैं झट से उठा और देखा कि आरती रसोईघर में बैठी जोर जोर से रो रही थी।

मैं उसके पास गया और देखा कि उसके पैर पर एक फोड़ा हो गया।ये देखकर मैंने आरती को उठाया और कमरे में ले गया।

और हमारे पास के डॉक्टर को फोन किया फिर आरती को उठाकर डॉक्टर के पास ले गया।डॉक्टर ने उस फोड़े को फोड़ दिया उस पर पट्टी कर दी साथ मे एक इंजेक्शन भी दे दिया।

कुछ दिनों बाद वो फोड़ा ठीक हो गया लेकिन अब आरती के चेहरे पर हो गया।

मैं बहुत परेशान हो गया मुझे ये सब आम बातें नही लग रही थी क्योंकि जैसे हो वो ठीक हो रही थी वैसे उसको कोई दुसरी प्रॉब्लम हो जाती।लेकिन मैं उसका इलाज कराता गया।

अब उसको पैरालाइसिस का अटैक आ गया।अब तो मैं तंग आ गया और सीधा भगवान नरसिंह देव के मंदिर में गया फिर उनसे कहा कि आप मेरी इतनी परीक्षा क्यों ले रहे है।

क्या मुझसे कोई गलती हुई है अगर हुई है तो उसकी सजा मुझको दीजिए।

आप आरती को तकलीफ़ क्यो दे रहे है।आज आप उसको ठीक कर दीजिए मैंने जब भी मुसीबत में आपको पुकारा है आपने हमेशा मेरी मदद की है।

फिर मैं घर चला गया। घर पर पहुचकर मैने देखा कि आरती एकदम ठीक हो गयी।मैंने मन ही मन नरसिंह देव को धन्यवाद दिया।

आरती मेरे पास आई और मेरे पैरों को पकड़कर रोने लगी।मैंने उसको पूछा तुम ये अब क्या कर रही हो तो वो बोली कि मैं तुम्हारी अपराधी हूँ ।

मैने बहुत पाप किये है जिसके कारण मुझे और तुमको ये दुःख प्राप्त हुआ।मैंने कहा कोनसे अपराध तब आरती बोली कि हम साथ मे ही पढ़ते थे और तुमने मेरी बहुत मदद की थी।

इसलिए तुम्हारी अच्छाई की वजह से मैं तुमसे प्यार करने लगी और एक दिन मैंने तुमसे अपने प्यार का इजहार कर दिया।

लेकिन तुमने इनकार कर दिया तुमने कहा कि तुम उसी से शादी करोगे जिसे तुम्हारे चाचा चाची पसन्द करेंगे।

लेकिन मझको तुमसे ही शादी करनी थी इसलिए मैं एक काला जादू करने वाले बाबा के पास गई और तुमको खाने में कुछ खिला कर अपने वश में कर लिया और तुमसे शादी कर ली और तुमको अपने चाचा चाची से अलग किया।

उस वशीकरण प्रक्रिया की वजह से तुमको भी काफी दुःख सहन पडा इस पाप की सजा ही मैं भुगत रही हूं।

आज मेरे सपने में नरसिह देव जी ने दर्शन दिए और मुझे कहा कि मैं तुमको एक अवसर दे रहा हूं क्योंकि तुम मेरे भक्त की पत्नी हो तुम अगर दिल से उससे माफी मांग लोगी तो तुम्हारे सारे कष्ट दूर हो जाएंगे।

ये कहकर वो अंतर्ध्यान हो गए।कृप्या आप मुझे क्षमा कर दीजिए ये सुनकर मुझे बहुत गुस्सा आ गया और मैने कई दिनों तक आरती से बात नही की लेकिन वो हर रोज मुझसे अपने किये पाप के लिए माफी मांगती थी।

इसलिए मझको आरती पर दया आ गयी और मैंने उसको क्षमा कर दिया।

फिर हम दोनो चाचा चाची के पास चले गए चाची आरती को ताने मारती थी लेकिन आरती अब तानों को सन लेती थी लेकिन पलट कर जवाब नही देती थी।

बाद में चाची भी उससे अच्छा व्यवहार करने लगी।हमारा परिवार एक खुशहाल परिवार हो गया।

दोस्तो इस कहानी की किरदार आरती को ये पता था कि उसने पाप किया है लेकिन वो ये मानती नही थी लेकिन जब उसने अपने अंतर्मन में देखकर सोचा तब उसको पता चला कि सिद्धार्थ अपने चाचा चाची से कितना प्रेम करता था फिर भी उसके वश की वजह से वो उनसे दूर हो गया।

वैसे तो मैं किसी अंधविश्वास पर विश्वास नही करता लेकिन आपको एक उदाहरण के तौर पर मैने इस काले जादू के बारे में लिखा है।

क्योंकि हम पाप किसी भी रूप में कर सकते है।अगर ये कहानी पढ़कर आप भी अगर अपने मन मे झांके और आपने अगर किसी के साथ कुछ बुरा किया है तो आप उसको बता दें ताकि आपके किये पाप का प्रायश्चित हो जाये।

आप उससे तब तक क्षमा मांगे जब तक वो आपको क्षमा न कर दे और अगर आपके साथ भी ऐसी कोई घटना हुई है तो मेरे साथ सांझा कर सकते है।
आपको ये कहानी दुःखी होने का क्या कारण है ? कैसी लगी कॉमेंट करके बताए और अगर अच्छी लगे तो शेयर भी करे धन्यवाद

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